जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा से बड़ी खबर आई है। बाहुबली नेता और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह को पुलिस ने जनसुराज के कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद से ही एक बार फिर उनके क्राइम रिकॉर्ड और राजनीतिक सफर पर चर्चा तेज हो गई है।
मोकामा से करीब 100 किमी दूर पटना में कहा जाता है कि “छोटे सरकार की चलती है”। पिछले दो दशकों से अनंत सिंह इस क्षेत्र की राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में रहे हैं। चाहे वे जेडीयू में रहे हों, आरजेडी में या निर्दलीय हर चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की।
कौन हैं अनंत सिंह?
बिहार की राजनीति में अनंत कुमार सिंह का नाम शक्ति, संपत्ति और विवाद तीनों के लिए जाना जाता है। सोशल मीडिया पर उनकी छवि एक दबंग, सफेद कुर्ता-पायजामा पहने और चश्मा लगाए नेता की है। लोग उन पर मीम्स बनाते हैं, लेकिन उनकी अपराध कुंडली कम नहीं है।
नामांकन पत्र के अनुसार, अनंत सिंह के खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, हमले और साजिश जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। वह अब तक पांच बार जेल जा चुके हैं।

करोड़ों की संपत्ति और आलीशान जीवन
2025 के हलफनामे में अनंत सिंह ने अपनी चल-अचल संपत्ति 37.88 करोड़ रुपये बताई है। उनके पास 13 करोड़ की चल संपत्ति, लग्ज़री कारें—टोयोटा लैंड क्रूजर और फॉर्च्यूनर के अलावा एक हाथी और घोड़ा तक दर्ज हैं। उनकी पत्नी और मोकामा की मौजूदा विधायक नीलम देवी के पास 62.72 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
पार्टी बदलते रहे, लेकिन दबदबा बरकरार
अनंत सिंह ने 2005 में जेडीयू से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 2015 में लालू-नीतीश गठबंधन बनने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय के तौर पर जीत दर्ज की। 2020 में वे आरजेडी में शामिल हुए और फिर से जीते। लेकिन 2022 में हथियार मामले में दोषी पाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीता। अब 2025 में अनंत सिंह फिर से जेडीयू में लौट आए थे।
दुलारचंद यादव हत्याकांड
बीते दिनों मोकामा में जनसुराज पार्टी के कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद बवाल मचा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि कठोर वस्तु से लगी चोटों के कारण उनकी मौत हुई।
पुलिस ने जांच में तेजी दिखाते हुए अनंत सिंह, मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को गिरफ्तार किया है। हालांकि जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने साफ किया कि मृतक का पार्टी से कोई औपचारिक संबंध नहीं था।
बिहार की राजनीति में अपराध और चुनाव का रिश्ता नया नहीं है। अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यही सवाल खड़ा कर दिया है क्या बिहार में बिना ‘छोटे सरकार’ बने राजनीति की राह तय की जा सकती है?
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