Friday - 20 June 2025 - 8:20 PM

एम आई टी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने एडवांस्ड लिथियम-आयन और सोडियम-आयन टेक्नोलॉजी पर आधारित भारत के पहले प्राइवेट यूनिवर्सिटी बैटरी रिसर्च सेंटर का शुभारंभ किया

एम आई टी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने सस्टेनेबल एनर्जी सॉल्यूशंस को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, अत्याधुनिक सुविधाओं वाली बैटरी फैब्रिकेशन एवं रिसर्च फैसिलिटी लॉन्च की है, जो लिथियम-आयन और सोडियम-आयन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। किसी प्राइवेट स्टेट यूनिवर्सिटी की ओर से पहली बार इस तरह की पहल की गई है, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय मिशनों के साथ जुड़ी हुई है। इसका उद्देश्य भारत को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान देना है।

इस फैसिलिटी को बैटरी को शुरू से अंत तक पूरी तरह विकसित करने के लिए बनाया गया है, जिसमें एक्टिव मटेरियल सिंथेसिस से लेकर कॉइन सेल फेब्रिकेशन और इलेक्ट्रोकेमिकल परफॉर्मेंस के मूल्यांकन तक की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

एम आई टी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी रिसर्च टीम बैटरी परफॉर्मेंस के सभी मानकों को बेहतर बनाने के लिए, एडवांस्ड इलेक्ट्रोड मैटेरियल्स विकसित करने में जुटी है, जिसमें एनर्जी डेंसिटी, साइकिलिंग स्टेबिलिटी एवं ऑपरेशनल सेफ्टी शामिल है। इसके साथ ही, नेक्स्ट जेनरेशन सॉलिड स्टेट इलेक्ट्रोलाइट्स विकसित करने की दिशा में भी कोशिश जारी है, जिनमें अधिक आयनिक कंडक्टिविटी और थर्मल स्टेबिलिटी वाले मैटेरियल्स पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। ये SSEs पारंपरिक लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और अधिक कुशल विकल्प देते हैं, जो एनर्जी स्टोरेज टेक्नोलॉजी में एक बड़ी प्रगति को दर्शाता है।

ग्लास-पॉलीमर कंपोजिट इलेक्ट्रोलाइट्स के इस्तेमाल और पेपर-आधारित बैटरियों के विकास जैसे नए-नए तरीकों का भी पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा, इस फैसिलिटी में लिथियम-आयन बैटरियों के लिए अधिक शुद्धता वाले सॉल्वैंट्स तथा इलेक्ट्रोलाइट्स के सिंथेसिस पर काम शुरू किया गया है, जो भारत में बैटरी बनाने वाली कंपनियों को अव्वल दर्जे की गुणवत्ता वाला कच्चा माल उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस फैसिलिटी इसमें नए-नए टूल्स और इंस्ट्रूमेंटेशन मौजूद है। यह फैसिलिटी अकादमिक अनुसंधान और उद्योग व शोध संस्थानों के साथ मिलकर किए जाने वाले प्रोजेक्ट्स में भी सहायक है, जिससे अत्याधुनिक विचारों को बड़े पैमाने पर लागू किए जाने वाले और उपयोगी समाधानों में बदलने में मदद मिलती है।

जल्द ही, इस फैसिलिटी में सिलैंडरिकल तथा प्रिजमेटिक सेल्स के निर्माण की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे बैटरी के कई दूसरे तरह के उपयोगों के लिए इसकी क्षमताएं बढ़ेंगी।

एम आई टी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन मैटेरियल्स साइंस के निदेशक तथा C-MET, MeitY, भारत सरकार, एम आई टी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के पूर्व-निदेशक, प्रोफेसर डॉ. भरत काले, ने कहा: “अत्याधुनिक सुविधाओं वाली इस बैटरी फेब्रिकेशन एवं रिसर्च फैसिलिटी का शुभारंभ, एम आई टी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के लिए सस्टेनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

भारत में पहली बार किसी प्राइवेट स्टेट यूनिवर्सिटी की ओर से इस तरह की पहल की गई है, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय मिशनों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य बिजली के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।

हमारे पास मटेरियल सिंथेसिस से लेकर सेल फेब्रिकेशन तथा इलेक्ट्रोकेमिकल मूल्यांकन तक की पूरी क्षमता उपलब्ध है, जिसकी मदद से हम सुरक्षित तथा अधिक कुशल लिथियम-आयन, सोडियम-आयन और लिथियम सल्फर बैटरियों के लिए एडवांस्ड इलेक्ट्रोड मैटेरियल्स और सॉलिड-स्टेट इलेक्ट्रोलाइट्स विकसित कर रहे हैं। ये समूह एम आई डी स्वीडन के साथ मिलकर पेपर बैटरी पर भी काम कर रहा है।

यह फैसिलिटी शिक्षा और उद्योग जगत के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के अलावा, भविष्य के होनहार छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए एक प्लेटफॉर्म की भूमिका भी निभाती है।

ANRF और देश में इसी तरह की फंडिंग एजेंसियों से अधिक सहायता मिलने पर, हमारे जैसे निजी संस्थान भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में बेहद अहम योगदान दे सकते हैं।”

रिसर्च और इनोवेशन के अलावा, ये फैसिलिटी भविष्य की प्रतिभाओं को निखारने के इरादे पर अटल है। यह इंजीनियरिंग एवं विज्ञान के छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म की भूमिका निभाती है, साथ ही पीएच.डी. करने वालों और रिसर्च करने वालों को भी बैटरी टेक्नोलॉजी में उच्च-स्तरीय शोध करने के लिए रोमांचक अवसर प्रदान करती है।

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