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सुलेमानी को ढेर कर कहीं खुद तो नहीं फंस गये हैं ट्रंप

स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच जंग के हालात पैदा हो गए है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनांड ट्रंप लगातार ईरान को ललकार रहे हैं। ईरान के सबसे ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में मौत हो गई थी। इसके बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव एका-एक बढ़ गया।

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ईरान जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की बात कह रहा है। एक दौर ऐसा भी था जब दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हुआ करते थे लेकिन अब हालात एकदम उलट है। दोनों की दुश्मनी से पूरी दुनिया सहम गई है।

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ट्रंप को अब रूहानी ने दिया करारा जवाब 

ट्रंप लगातार ईरान को धमका रहे हैं और उन्होंने कुछ दिन पूर्व ईरान के 52 ठिकानों की पहचान की बात कही थी लेकिन इसके बाद ईरानी राष्ट्रपति ने ट्रंप को करारा जवाब दिया है। रूहानी ने ट्रंप को घेरते हुए ट्वीट कर कहा है कि जो लोग 52 नंबर की बात कर रहे हैं उन्हें 290 नंबर भी याद रखना चाहिए। बता दें कि साल 1988 के जुलाई महीने में अमेरिकी वॉरशिप ने ईरानी विमान पर हमला किया था, जिसमें 290 लोगों की मौत हो गई। रूहानी ने इसी घटना की याद दिलायी है।

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पहले थी गहरी दोस्ती

सत्तर के दशक के अंत में जब ईरान इस्लामी गणतंत्र घोषित हुआ तब से दोनों देशों के बीच की दोस्ती में दरार आ गई थी। अब अगर दोनों देशों के बीच जंग होती है तो इसका असर पूरी दुनिया में पडऩे जा रहा है।

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अमेरिका में ही घिर गए डोनाल्ड ट्रंप

भले ही अमेरिका टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी को मारकर बहुत बड़ी कामयाबी मान रहा हो लेकिन उसने खुद भी मुसीबत मोल ही है। टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की हैसियत ईरान में बहुत बड़ी है। उनकी अंतिम यात्रा पर पूरा ईरान गमगीन हो गया था। इतना ही नहीं समूचा ईरान, फूट-फूट कर रो रहा था।

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डोनाल्ड ट्रंप की राह अब आसान नहीं

ईरान जहां अपने जनरल की मौत का इंतकाम लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। तो दूसरी ओर इस मामले में डोनाल्ड ट्रंप अकेले भी पड़ते नजर आ रहे हैं। भले ही कुछ देश डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन की बात कह रहे हो लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में डोनाल्ड ट्रंप के एक्शन पर कड़ा विरोध हुआ है। खुद अमेरिका में भी डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। अमेरिका में कुछ लोग डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। अमेरिका के अंदर आलोचना और विरोध के स्वर तेज हो गए है।

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ट्रंप ने अमेरिकी संसद को विश्वास में नहीं लिया था

दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी पर अटैक करने से पहले अमेरिकी संसद को विश्वास में नहीं लिया था। इस वजह से इसका कड़ा विरोध हो रहा है। अमेरिकी संसद की स्पीकर और डेमोक्रेट सांसद नैंसी पेलोसी ने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ खुलकर विरोध जताया है।

ट्रंप के पर कतरे जा सकते हैं

इतना ही नहीं ट्रंप के पर कतरन तक का प्रस्ताव रख दिया है। एक न्यूज एजेंसी ने दावा किया है कि नैंसी पेलोसी ने रविवार को यूएस कांग्रेस के सांसदों को एक पत्र लिखकर पूरी घटना की जानकारी दी और ईरान के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति की सैन्य कार्रवाई को सीमित करने का प्रस्ताव भेजा है।

कहा गया है कि अगर तनाव बढ़ता है तो अमेरिकी सैनिक और नागरिक दोनों पर खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए जरूरी है अपने नागरिकों को सुरक्षित रखना है। खबर तो यह भी आ रही है कि ट्रंप को रोकने के लिए वहां के सांसद वोटिंग करने जा रहे हैं। अब देखना होगा  ट्रंप को लेकर अब क्या करते हैं। ट्रंप लगातार ईरान पर हमला करने की बात कह रहे हैं लेकिन ये इतना आसान भी नहीं होगा।

कौन थे कासिम सुलेमानी  

जनरल कासिम सुलेमानी ईरान के लिए बेहम अहम थे। इतना ही नहीं जनरल सुलेमानी अपने देश और देश के बाहर एक महत्वपूर्ण शख्सियत माने जाते थे। सीरिया और इराक युद्ध में उन्होंने अहम रोल अदा किया था। इतना ही नहीं इस्लामिक स्टेट के आतंक से बगदाद को बचाने में उन्होंने सबसे बड़ा योगदान दिया था। उनके नेतृत्व में ईरान समर्थित फोर्स का गठन हुआ था जिसका नाम पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स रखा गया था।

इसे के बल पर ईराक को इस्लामिक स्टेट के आतंक से मुक्त कराया था। इसके आलावा मिडिल ईस्ट में ईरानी प्रभाव भी उनकी वजह से बढ़ा था। सऊदी अरब और इस्राइल को उनकी वजह से अच्छी खासी परेशानी में रहता था। करीब 20 साल से उनको मारने की कोशिश की गई थी लेकिन वो कामयाब नहीं हो पा रहे थे। दूसरी ओर अमेरिका के लिए सुलेमानी रोड़ा साबित हो रहे थे। जनरल सुलेमानी अमेरिका के बहुत पुराने दुश्मन थे। 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच हुई खूनी जंग में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।

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