न्यूज डेस्क
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जनता के बीच फिर से जगह बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। इसके लिए पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और इसके फायदा उन्हें लोकसभा चुनाव में 10 सीट जीत के साथ हुआ। बसपा सुप्रीमो अब आगामी उपुचनाव और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों शुरू कर दी हैं। उन्होंने पार्टी के जनाधार बढ़ाने के लिए एक बार फिर सोशल इंजिनियरिंग का सहारा लिया है।
मायावती ने गुरुवार को एक मुस्लिम, एक दलित और एक ओबीसी सहित तीन स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए। बसपा सुप्रीमो ने मुस्लिम समुदाय से आने वाले मुनकाद अली, दलित एमएलसी बीआर आंबेडकर और पार्टी में प्रमुख ओबीसी नेता आरएस कुशवाहा को स्टेट कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। मुनकाद अली बसपा के प्रदेश इकाई के प्रमुख बनने वाले पहले मुस्लिम नेता हैं।

सूत्रों की माने तो बसपा सुप्रीमो की तरफ से मुनकाद अली, बीआर आंबेडकर और आरएस कुशवाहा से कहा गया है कि वे यूपी के हर हिस्से का दौरा करें और सीधे उन्हें रिपोर्ट करें। माना जा रहा है कि 2022 में बसपा सरकार बनाने के लिए मायावती गैर यादव और गैर लोध ओबीसी वोटर को फिर से पार्टी में लौटाने पर फोकस कर रही हैं।
इतनी ही नहीं मायावती अल्पसंख्यकों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं और उन्हीं को लुभाने के लिए मुनकाद अली को पार्टी की स्टेट यूनिट का पहला मुस्लिम प्रेजिडेंट चुना गया। अब मुनकाद को स्टेट कोऑर्डिनेटर बनाकर उनके कद को और बढ़ा दिया गया है।
हालांकि पार्टी के सूत्र बताते हैं कि बसप मुसलमानों की पहली पसंद नहीं है लेकिन उन्हें लुभाकर कांग्रेस और सपा से दूर करना इस समय बहुत अहम है। पार्टी ने आने वाले उपचुनावों में केंद्र और राज्य सरकारों की नाकामियों, जैसे-अर्थव्यवस्था की स्थिति, बढ़ती बेरोजगारी, खराब कानून-व्यवस्था को भी जनता के सामने लाने की योजना बनाई है।
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