न्यूज डेस्क
सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गठबंधन रास नहीं आया। जिस भाव से अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख मायावती का हाथ थामा था उसमें वह कामयाब नहीं हुए। उत्तर प्रदेश में सपा को कुछ खास फायदा नहीं हुआ, अलबत्ता मायावती को जरूर संजीवनी मिली है। इसके पहले भी अखिलेश यादव यूपी के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े थे और उसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

उत्तर प्रदेश में जब सपा-बसपा ने गठबंधन का ऐलान किया था तो सबने उम्मीद की थी कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलेगी और चुनाव के दौरान कई सीटों पर चुनौती दिखी भी थी।
जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों ने भी उम्मीद जतायी थी कि गठबंधन यूपी में 40 से 50 सीटे जीत सकती है। लेकिन आज जब चुनाव परिणाम आया तो सारा कयास हवा-हवाई साबित हुआ। यूपी की जनता को सपा-बसपा का साथ पंसद नहीं आया।
मायावती को मिली संजीवनी

सपा-बसपा के गठबंधन से मायावती को जरूर संजीवनी मिली है। 2014 लोकसभा चुनाव में खाता न खोलने वाली बसपा इस चुनाव में रूझानों के हिसाब से 9 से 10 सीटों पर जीतती दिख रही है, जबकि समाजवादी पार्टी को 5 से 6 सीटें मिल सकती है।

2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ी थी और उसे पांच सीटों पर जीत मिली थी। इस लिहाज से देखा जाए तो सपा को इस चुनाव में कुछ खास फायदा होता नहीं दिख रहा।
अब तक के रूझानों के मुताबिक यूपी में बीजेपी गठबंधन 63, महागठबंधन 16 और कांग्रेस 1 सीट पर आगे चल रही है। सीटों के लिहाज से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के नतीजों पर सबकी नजरें हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मिलाया था हाथ
2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस से हाथ मिलाया था। अखिलेश ने उम्मीद की थी कि जनता को राहुल और अखिलेश का साथ पंसद आयेगा लेकिन जनता ने नकार दिया था।

हालांकि चुनाव के बाद सपा और कांग्रेस के रास्ते अलग हो गए। अखिलेश ने इससे सबक नहीं लिया और लोकसभा चुनाव में बसपा से हाथ मिला लिया। एक बार फिर अखिलेश यादव को अपने फैसले से मायूसी हाथ लगी है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
