जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते आवारा कुत्तों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 8 हफ्ते के भीतर सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि एक बार कुत्तों को शेल्टर में भेजने के बाद उन्हें सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा। हालांकि, इस फैसले का विरोध बीजेपी नेता मेनका गांधी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दोनों ने किया है।
मेनका गांधी का तर्क — “ये समाधान नहीं”
मेनका गांधी ने फैसले को अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि सड़क हादसों की तरह कुत्तों के मामले में भी “सबको हटा दो” सोच सही नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाधान कुत्तों की नसबंदी और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बंद करने में है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में शेल्टर होम बनाने के लिए आधा एकड़ जमीन और करीब 15 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा कुत्तों के खाने के लिए हर हफ्ते 5 करोड़ रुपये और देखरेख के लिए डेढ़ लाख लोगों की भर्ती करनी होगी। मेनका ने दावा किया कि डॉग बाइट के सरकारी आंकड़े भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कुत्तों को हटाने पर बंदरों जैसी अन्य प्रजातियां शहर में आ जाएंगी।
राहुल गांधी का रुख — “क्रूर और अमानवीय”
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आवारा कुत्ते कोई समस्या नहीं हैं जिन्हें खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि शेल्टर, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसे मानवीय तरीकों से सड़कों को सुरक्षित बनाया जा सकता है। राहुल के मुताबिक, बिना सोचे-समझे कुत्तों को हटाना क्रूर है और हमारी मानवता को खत्म करता है।
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कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को आवारा कुत्तों से मुक्त करना जरूरी है ताकि बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सुरक्षित रह सकें। कोर्ट ने 5 हजार कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाने के निर्देश दिए और इसके लिए 8 हफ्ते की समयसीमा तय की।