जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली बोलने वाले मजदूरों को ‘बांग्लादेशी’ कहकर हिरासत में लिया जा रहा है, जबकि उनके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं। उन्होंने इसे बंगाली समुदाय का अपमान बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।
300 से अधिक मजदूरों को कथित रूप से कैद किया गया
सीएम ममता ने दावा किया कि राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले में 300-400 बंगाली भाषी मजदूरों को एक इमारत में कैद कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूरों ने वैध दस्तावेज दिखाए फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया गया।“क्या बांग्ला बोलना अपराध है? यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले की जानकारी दूंगी,” — ममता बनर्जी
मध्य प्रदेश और दिल्ली से भी सामने आए ऐसे मामले
नबन्ना सूत्रों के अनुसार, इसी तरह की घटनाएं दिल्ली एनसीआर के भिवाड़ी और मध्य प्रदेश से भी सामने आई हैं। ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि क्या तमिल, तेलुगू, नेपाली या उर्दू बोलने वालों को भी अन्य देशों में भेजा जाएगा?
22 लाख बंगाली मजदूर काम करते हैं देशभर में
सीएम बनर्जी ने कहा कि 22 लाख बंगाली भाषी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि बंगाल इसी तरह से प्रवासी मजदूरों के साथ व्यवहार करने लगे तो क्या होगा?“हमारे यहां करीब 1.5 करोड़ प्रवासी मजदूर बाहर से आते हैं, लेकिन हमने कभी उनकी भाषा या राज्य के आधार पर उन्हें टारगेट नहीं किया।”
दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव का आरोप
सीएम ममता ने कहा कि जब बंगाल में कोई छोटी घटना होती है तो केंद्र सरकार कई जांच टीमें भेजती है, लेकिन जब बीजेपी शासित राज्यों में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं, तब केंद्र खामोश रहता है।
ये भी पढ़ें-ईरान में मोसाद का नेटवर्क ध्वस्त! 3 जासूसों को फांसी, सैकड़ों हिरासत में
TMC ने एक्स पर किया विरोध दर्ज
टीएमसी ने अपने आधिकारिक एक्स (Twitter) हैंडल पर लिखा:“उत्तर दिनाजपुर के इटाहार के 300 से अधिक मजदूरों को सिर्फ बंगाली बोलने की वजह से बांग्लादेशी कहा गया और हिरासत में लिया गया।”
टीएमसी के मुताबिक, सीएम ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव को मजदूरों की सुरक्षा और रिहाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।