Saturday - 13 January 2024 - 10:32 PM

संक्रांति की बधाई वाट्सअप पर नहीं, धूप में बांटिये

राजीव ओझा
आप सबको मकर संक्रांति, बिहू और पोंगल की बधाई और मंगल कामना। यह त्योहर सभी भारतवासियों के जीवन में खुशियाँ लाये। लेकिन आप खुश तभी रहेंगे जब स्वस्थ रहेंगे। और स्वस्थ तभी रहेंगे जब शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होगी।

वाट्सअप, फेसबुक और ट्विटर पर पतंग उड़ाने, तिल के लड्डू की तस्वीरें भेजने और सोशल मीडिया पर मकर संक्रान्ति पर ज्ञान बघारने और बधाई देने से विटामिन डी नहीं मिलता बल्कि घटता है।

क्योंकि अक्सर इंटरनेट पर बैठे रहने और बाहर न निकलने वालों के शरीर में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। लोग स्वस्थ और खुशहाल रहें, इसीलिए असम से लेकर अहमदाबाद तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मकर संक्रांति उत्साह से मनाई जाती है। इसी लिए इसका नाम अलग, प्रदेश भिन्न, लेकिन त्योहर एक है।

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने और तिल के तरह तरह के व्यंजन बनाने की परम्परा बेवजह नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों को मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने की जानकारी हजारों साल पहले से ही थी और यह भी पता था कि मकर संक्रांति के दिन धुप में उच्चकोटि के विटामिन डी की प्रचुरता होती है।

इसी तहर पतंग उड़ाने की परम्परा है। इसी बहाने लोग धूप में निकलते और उन्हें विटामिन डी मिलता है। यह वैज्ञानिक तथ्य है कि शरीर को धूप से काफी मात्रा में विटामिन डी मिलती है। इसी तरह यह भी वैज्ञानिक तथ्य है कि तिल के बीज यानी तिल में सबसे अधिक कैल्शियम (975 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में) होता है। जबकि दूध में केवल 125 मिलीग्राम है।

क्या आपको पता है कि मानव शरीर एक साल तक विटामिन डी का भंडारण करने में सक्षम है और शरीर सालभर इस भंडार का उपयोग करता रहता है।

इस लिए मकर संक्रांति के सूर्य का प्रकाश पहले तीन दिन सबसे अच्छा होता है मानव शरीर के लिए। तो इस मकर संक्रांति के साथ अपने शरीर में आप भी 3 दिनों तक विटामिन डी भंडार का भण्डारण कर सकते हैं। शरीर पर सुबह की धूप का सबसे अच्छा प्रभाव पड़ता है।इसे सर्दियों के अंत का और गर्मियों की शुरुआत का आगाज भी कह सकते हैं।

आप सब देखें कि प्राचीन भारत के हमारे ऋषि-मुनि कितने बुद्धिमान थे। इसीलिए उन्होंने पतंग उड़ाने का त्यौहार बनाया जहाँ हमारे बच्चे सुबह की सीधी खुली धूप में घंटों पतंग उड़ाते हैं। सुबह जल्दी उठने के कारण दिन भर उत्साहित रहते हैं। और उनकी मां उन्हें घर का बना तिल का लड्डू खिलाती हैं। क्या शानदार संस्कृति है हमारी। आप भी भागीदार बने, तिल के लड्डू खाएं, पतंग उड़ायें। हैप्पी मकर संक्रांति।

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