न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में एक महीने से ज्यादा वक्त तक चली सियासी उठापटक के बाद आखिरकार चुनाव जीते हुए विधायकों ने आज विधानसभा पहुंचकर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधायक पद की शपथ ले ली है, अब सभी विधायकों के शपथ लेने का सिलसिला शुरू हो गया है। फडणवीस के बाद छगन भुजबल, अजित पवार, जयंत पाटिल, बालासाहेब थोराट समेत अन्य विधायकों ने शपथ ली।
विधायकों का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले खुद विधानभवन के गेट पर मौजूद दिखीं। इस दौरान जब सुप्रिया के बड़े भाई अजित पवार वहां पहुंचे तो यह गिले-शिकवे दूर करने का वक्त था।

बता दें कि मंगलवार को डेप्युटी सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद अजित पवार की घर वापसी हुई है। अजित के बागी होने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने 23 नवंबर को सीएम पद की शपथ ली थी लेकिन अजित के घर लौटने के बाद महज 80 घंटे के अंदर ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
अजित पवार विधानसभा के सत्र में शामिल होने के लिए जब गेट पर पहुंचे तो वहां पहले से सुप्रिया सुले खड़ी थीं। अजित के आगे एनसीपी विधायक दल के नेता जयंत पाटिल थे। पाटिल ने हाथ जोड़कर सुप्रिया का अभिवादन किया। इसके बाद उनके पीछे चल रहे अजित सुप्रिया के पास पहुंचे। दोनों ने आगे-बढ़कर एक दूसरे को गले से लगाया और तस्वीरें खिंचाईं। इस दौरान सुप्रिया और अजित दोनों मुस्कुराते नजर आए।
विधायक की शपथ लेने से पहले अजित पवार ने कहा, ‘एनसीपी से मैं कभी निकाला ही नहीं गया। पार्टी में था, पार्टी में हूं और पार्टी में रहूंगा।’ इससे पहले मंगलवार रात अजित ने अपने चाचा और एनसीपी चीफ शरद पवार से मुंबई में उनके आवास सिल्वर ओक पर मुलाकात की थी।
इस दौरान एनसीपी नेता रोहित पवार ने कहा कि हमें खुशी है कि अजित पवार की वापसी हुई है, वो आज यहां पर हैं। वह एनसीपी का ही हिस्सा हैं और अब उनकी देखरेख में काम करेंगे।
इस बीच उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ आज राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। बता दें कि उद्धव ठाकरे को 3 दिसंबर तक विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा. यानी उद्धव को बहुमत साबित करने के लिए सात दिन का समय मिला है।
ठाकरे परिवार से उद्धव पहले ऐसे नेता होंगे जो राज्य में शीर्ष राजनीतिक पद का प्रतिनिधित्व करेंगे। अबतक ठाकरे परिवार खुद को चुनाव से दूर रखता आया था लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में परिवार ने इस परंपरा को तोड़कर आदित्य ठाकरे को चुनाव मैदान में उतारा था। यह संकेत था कि अब शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए सारा जोर लगाएगी।
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