जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ में शनिवार को हिस्टोरिक सिटी सीरीज़ 2025 का आयोजन किया गया। आईकोमोस इंडिया (ICOMOS India) और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (AKTU) के फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग (FOAP) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम का फोकस यूनेस्को के हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप (HUL) दृष्टिकोण पर रहा। इसमें देशभर से संरक्षणविद, शहरी योजनाकार, कलाकार, इतिहासकार और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल हुए।
लखनऊ की बहुआयामी पहचान पर चर्चा
सम्मेलन में लखनऊ की परतदार पहचान—नवाबी संस्कृति, औपनिवेशिक विरासत, स्वतंत्रता के बाद का विकास, तथा अमूर्त परंपराएँ जैसे तहज़ीब, कथक, हस्तशिल्प और व्यंजन—पर विमर्श हुआ। वक्ताओं ने कहा कि तेज़ शहरीकरण के बीच विरासत संरक्षण बड़ी चुनौती है, लेकिन इसे अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है।
प्रमुख वक्तव्य
- डॉ. अंजन्या शर्मा, सहायक प्रोफेसर, FOAP:
“लखनऊ का सांस्कृतिक परिदृश्य केवल स्मारकों तक सीमित नहीं, बल्कि जीवित परंपराओं में भी झलकता है।” - आर्किटेक्ट शालिनी दास गुप्ता, संस्थापक सदस्य, ICOMOS India:
“HUL दृष्टिकोण शहरों के लिए विकास और सांस्कृतिक निरंतरता के बीच संतुलन का रास्ता दिखाता है।” - प्रो. ऋतु गुलाटी, विभागाध्यक्ष, FOAP:
“लखनऊ ने विभिन्न प्रभावों को आत्मसात करते हुए क्रमिक विकास किया है। इसकी खूबसूरती विविध सांस्कृतिक परतों में निहित है।” - प्रो. वंदना सेहगल, प्रिंसिपल एवं डीन, FOAP:
“तेज़ विकास के कारण विरासत क्षेत्र दबाव में हैं। संरक्षण तभी संभव है जब नागरिक और संस्थान इसे साझा जिम्मेदारी मानें।”
सरकार और संस्थानों की पहल
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार (IAS) ने वर्चुअल संदेश में कहा कि “विकास और संरक्षण विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। एकीकृत योजना से ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सकता है जो विरासत का सम्मान भी करे और आधुनिक आकांक्षाओं को भी पूरा करे।”
‘अमूर्त लखनऊ’ पर पैनल चर्चा
- पैनल चर्चा में लखनऊ की तहज़ीब, किस्सागोई, चित्रकला, सुलेख, कथक और चिकनकारी जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने विचार रखे।
- इतिहासकार रवि भट्ट ने मौखिक परंपराओं को शहर की आत्मा बताया।
- कथक नृत्यांगना कुमकुम धर ने कहा कि लखनऊ कथक का वैश्विक केंद्र रहा है।
- उद्यमी ममता ने चिकनकारी को महिला आजीविका से जोड़ते हुए इसके संरक्षण पर जोर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय और नागरिक दृष्टिकोण
निकोलस माके, निदेशक, अलायंस फ़्राँसेज़ : “लखनऊ की विरासत भारत और विश्व के बीच सांस्कृतिक सेतु है। सरकार की पहल इसे वैश्विक कूटनीति का अवसर बनाती है।”
आदिति चक्रवर्ती, प्रशासक, सिटिज़न्स फॉर लखनऊ: “विरासत संरक्षण तभी सफल है जब प्रशासन और नागरिक मिलकर आगे बढ़ें।”
हिस्टोरिक सिटी सीरीज़, ICOMOS India की राष्ट्रीय पहल है, जो यूनेस्को की Historic Urban Landscape Recommendation (2011) पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सतत शहरी विकास के साथ विरासत संरक्षण को बढ़ावा देना और विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं व स्थानीय समुदायों को जोड़ना है।