
भारत में लोकसभा चुनाव एक बड़ा उत्सव है। हर पांच साल पर आने वाले इस उत्सव में पूरा देश शामिल होता है। इस उत्सव में जाति-धर्म, गरीबी-अमीरी का फर्क मिट जाता है। गरीब मतदाता भी नेताओं के लिए उतना ही कीमती होता है जितना अमीर। इसलिए इस उत्सव में शामिल होने का एक अलग ही रोमांच होता है, खासकर युवाओं में।
वर्तमान में देश में सबसे ज्यादा वोटर युवा है। वो ही सरकार बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। जुबिली पोस्ट ने लखनऊ के कुछ युवाओं से बात कर उनका नजरिया जानने की कोशिश की, कि वो किन मुद्दों पर अपना बहुमूल्य मत देंगे। वह आज के राजनैतिक दल और नेताओं के बारे में क्या सोच रखते हैं।

पेशे से अध्यापिका हर्षिता श्रीवास्तव कहती हैं समाज अगर शिक्षित होगा तभी सही मायने में देश का विकास हो सकता है। हर्षिता कहती है लोकसभा चुनाव में असली मुद्दा शिक्षा होना चाहिए, जो नेता शिक्षा के सुधार के लिए आवाज उठायेगा हम उसी को वोट देंगे।

सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अमित सिंह का कहना है कि चुनाव में केवल रोजगार मुद्दा होना चाहिए। जब तक देश का युवा बेरोजगारी की मार झेलेगा, तब तक हम कभी विकसित देश नहीं बन सकते हैं। अमित आगे कहते हैं, ‘जो रोजगार की बात करेगा मेरा वोट उसी को।’

लखनऊ विश्वविद्याल से बीएससी कर रहे हर्षित तिवारी का मानना है कि चुनाव में मुद्दे तो कई होते हैं, लेकिन लोग उम्मीदवार की जाति और धर्म देख कर वोट करते हैं। बल्कि जो काम करे और ईमानदार हो उसे वोट देना चाहिए।

नेट क्वालीफाई कर चुकी श्वेता कहती हैं देश में असली मुद्दों की बजाए राष्ट्रवाद और पाकिस्तान की बात हो रही है। देश गरीबी और समाजिक असमानता है, गरीब और अमीर की बीच की खाई और गहरी हो गई है। पीएम मोदी के 15 लाख या राहुल गांधी के 72 हजार रुपए देने के वादे फर्जी हैं। असल में जो गरीबों की बात करे उसे वोट देना चाहिए।

सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही शिखा पांडेय कहती हैं कि चुनाव में महिला सुरक्षा अहम मुद्दा होना चाहिए। शिखा कहती हैं महिलाओं को देश की आधी आबादी कहा जाता है, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा की बात कोई नहीं कर रहा है। जो नेता या दल महिलाओं के हक और उनकी सुरक्षा की बात करेगा, मेरा वोट उसी को मिलेगा।

गृहिणी शालिनी श्रीवास्तव लोकसभा चुनाव में महंगाई को प्रमुख मुद्दा मानती हैं। शालिनी कहती हैं महंगाई ने पूरा बजट ही बिगाड दिया है। सरकार को हवाई मुद्दों के बजाए जमीनी मुद्दों की बात करनी चाहिए।

समाजसेवी दुर्गेश सिंह का कहना है चुनाव कोई भी हो देश की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता है। देश सबसे पहले है बाकी सब बाद में। राष्ट्रवाद के नीचे सारे मुद्दे आते हैं। मेरा वोट तो राष्ट्रवाद की बात करने वाले दल जाएगा।

छात्र अभिनय शुक्ला का कहना है कि जनता को मुद्दों के जाल में फंसा कर नेता चुनाव जीत लेते हैं, लेकिन पांच साल तक नहीं दिखते हैं और न ही अपने वादों को पूरा करते हैं। इसलिए मैनें इस बार नोटा का चुना है।

सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभिषेक पटेल का कहना है कि मुद्दा कोई भी सरकार ऐसी बने जो कानून व्यवस्था सही कर सके, लेकिन आजकल माफिया ही नेता बन जा रहे हैं और कानून का अपनी जेब में रखते हैं। जनता को ऐसे उम्मीदवार को वोट देना चाहिए जो भयमुक्त समाज बनाने में मदद करे।

प्राइवेट नौकरी कर रहे महेश त्रिपाठी कहते हैं रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। भारत एक युवा देश है, जहां की सबसे बड़ी समस्या बेराजगारी है। युवा अगर सही राह पर नहीं चलेंगे तो तो देश भी सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता है। मेरा वोट उस दल को जो रोजगार देगा।
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