जुबिली न्यूज डेस्क
टिड्डी दल का खतरा बढ़ने के आसार हैं। हाल ही में पाकिस्तान की सीमा लांघकर नौ से अधिक टिड्डी दल राजस्थान के अलग-अलग जिलों में पहुंच गए हैं। करीब 12 किलोमीटर लंबे टिड्डी दल के चार पांच दिन बाद उत्तर प्रदेश की सीमा पर दस्तक देने की आशंका है। इसी बीच एक टिड्डी दल प्रयागराज, कौशांबी और चित्रकूट की सीमाओं पर मंंडराते हुए मध्य प्रदेश में प्रवेश कर गया है।
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यूपी में प्रयागराज जिले में टिड्डी दल ग्रामीण इलाकों में अपना कोहराम मचाने के बाद अब शहरी इलाकों में पहुंच गया है। दारागंज से लेकर टैगोर टाउन, कटरा, यूनिवर्सिटी, कंपनी बाग, सिविल लाइंस, करेली, लूकरगंज, बेनीगंज, चकिया, राजरूपपुर से कालिंदीपुरम तक आसमान में टिड्डी दल नजर आए। इन्हें भगाने के लिए लोगों ने पटाखे छोड़ तो कहीं-कहीं फायरिंग किए जाने की भी बात सामेन आई।

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टिड्डी दल से बचाव के लिए फायरकर्मी और सिंचाई विभाग के कर्मचारी मंगलवार से ही जुटे हैं लेकिन टिड्डी दल एक के बाद दूसरे इलाकों में धावा बोलता रहा। गुरुवार को सुबह से टिड्डी दल का रुख शहर की ओर रहा। दारागंज की तरफ से शहर में प्रवेश कर टिड्डी दल टैगोर टाउन, जार्जटाउन, दरभंगा होते हुए सिविल लाइंस तक फैल गए। आसमान में टिड्डी दल को देखकर लोगों ने पटाखे छुड़ाए। टैगोर टाउन समेत कुछ जगहों पर लोगों के फायरिंग करने की भी सूचना है। लोगों ने थाली और खाली कनस्टर पीटकर भी दल को भगाया।
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शहर के चकिया, झलवा, धूमनगंज, टैगोर टाउन, जार्ज टाउन, कीडगंज, कटरा, कर्नलगंज, चौक, सिविल लाइंस समेत आधे से ज्यादा शहर में टिड्डी दल ने आतंक मचा दिया। देखते ही देखते हजारों पेड़-पौधों को चट कर गया। छतों पर गमलों लगे फूल, सब्जियों के पौधों का तो नामोनिशान मिट गया। दल को भगाने के लिए लोग पटाखे फोड़ने लगे। थाली बजाकर आवाज करने लगे।अफसरों की टीमें इनको मारने के लिए रासायनिक घोल के छिड़काव की तैयारी में जुट गए हैं।

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दरअसल, बुधवार पूरी रात दल को मारने के लिए अफसरों की टीमें बहादुरपुर के गांवों में छिड़काव की थीं। काफी संख्या में टिड्डी मारे भी गए थे। गुरुवार सुबह ही अफसरों की टीमें शहर लौटी थी। जिला कृषि अधिकारी डॉ.अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि जल्द ही नुकसान का आंकलन कराया जाएगा। गंगापार के सैदाबाद और हनुमानगंज से टिडडी दल प्रयागराज शहर के विभिन्न मोहल्लों में पहुंचा।
टिड्डी दल के आक्रमण के समय निम्न उपाय करें
- अपने खेतों में आग जलाकर पटाखे फोड़ कर थाली बजाकर ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें।
- कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफॉस, साइपरमैथरीन, लिंडा इत्यादि कीटनाशकों का टिड्डी दल के ऊपर छिड़काव करें।
- यह टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8 -9 बजे के करीब उड़ान भरता है अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है।
- यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपरोक्त उपाय को अपनाते हुए तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के कर्मचारी से संपर्क करें।

कुछ घंटों में ही चट कर दते है फसल
टिड्डी ढाई इंच लंबे कीट होते है, जो फसलों को कुछ घंटों में ही चट कर दते है। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते है। इनकी संख्या करोड़ों में है। यह दिन डूबने के समय 6 से 7 बजे के आस पास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8 से 9 बजे के करीब उड़ान भरता है। इस दौरान वह फसलों को कुछ घंटों में ही पूर्णता चट कर देता है।
वैज्ञानिक भी हैं हैरान
हर साल न जाने कितने लोग सड़क दूर्घटना के अंदर मारे जाते है। लेकिन टिड्डी लाखों की संख्या के अंदर एक साथ उड़ती हैं। और इनका घनत्व एक वर्ग किमी के अंदर 8 करोड़ तक होती हैं। इतनी ज्यादा संख्या के अंदर होने के बाद भी यह कभी भी एक दूसरे से टक्कराती नहीं हैं। टिड्डी दस किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सफर करते हैं।
ब्रेटेन, अमेरिका और स्पेन के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक विशेष तकनीकी का विकास किया है। जो सड़क पर होने वाली दूर्घटनाओं को कम करने मे मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक विकास का आइडिया टिड्डी से लिया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इनके आंखों के पीछे एक हिस्सा डिटेक्टर मूमेंट होता है। इसकी मदद से उनको यह पता चल जाता है कि कोई अन्य चीज उनके रस्ते के अंदर आ रही है। और उसके बाद यह खतरे को भाप कर अपना रस्ता बदल लेती हैं। इसके अलावा टिड्डी के देखने क क्षमता मनुष्यों से कई गुना अधिक होती है।
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