नई दिल्ली। जब से केजरीवाल सरकार दिल्ली में बनी है तब से वहां पर उप-राज्यपाल के साथ उनके रिश्ते बेहद तल्खी भरे रहे हैं। इतना ही नहीं कई मौकों पर उप-राज्यपाल ने केजरीवाल के फैसले पर रोक लगायी है। केजरीवाल भी कहते रहे हैं कि उन्हें दिल्ली में काम करने की आजादी नहीं है। मामला लगातार तूल पकड़ता रहा है। केजरीवाल अक्सर इस मामले में केंद्र में मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हैं। केजरीवाल और उप-राज्यपाल की ये लड़ाई कोर्ट तक जा पहुंची लेकिन वहां भी केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली में अफसरों पर नियंत्रण को लेकर केजरीवाल और उप-राज्यपाल आमने सामने आ चुके हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसे फैसले लिये हैं जिससे केजरीवाल की परेशानी बढ़ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता है। इससे यह बात भी साफ हो गई है कि ऐंटी-करप्शन ब्रांच केंद्र के अधीन रहेगी क्योंकि पुलिस केंद्र के पास है, हालांकि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार होगा। फैसले के तहत स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा लेकिन रेवेन्यू पर एलजी की सहमति लेनी होगी। इलेक्ट्रिसिटी मामले में डायरेक्टर की नियुक्ति सीएम के पास होगी।
जस्टिस सिकरी ने कहा
- संविधान बेंच के फैसले ध्यान में रखा जाना चाहिए लेकिन सर्विसेज के अधिकार पर अलग-अलग मत हैं
- ज्वायंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर के अधिकारी उप-राज्यपाल के अधीन आएंगे
- जबकि बाकी दिल्ली सरकार के अधीन आएंगे
एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के तहत आएगा क्योंकि दिल्ली सरकार के पास पुलिसिंग का अधिकार नहीं है।
एसीबी के मामले में जस्टिस सीकरी ने कहा
- वह सिर्फ दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ करप्शन मामले की जांच कर सकता है
- केंद्र के अंदर आने वालों पर नहीं। दिल्ली सरकार खुद कमीशन ऑफ इंक्वायरी भी नियुक्त नहीं कर सकती है।
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