सीमा पर तैनात सैनिक को नहीं पता की कब उसे इस दुनिया से अलविदा कहना पड़ जाए। ऐसे में सैनिकों ने अपने वंश को बरकार रखने के लिए एक नया तरीका निकला हैं।

दरअसल सैनिकों दौरा अपना स्पर्म फ्रीज करवाने का नया ट्रेंड सामने आ रहा है। सूत्रों से पता चला कि पिछले तीन-चार साल में ही ऐसे सैनिकों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है।
संवेदनशील इलाकों और सरहद की सुरक्षा में लगे जवान जिंदगी की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लेते हैं।
आपको बता दें सरकार की तरफ से मिलिट्री हॉस्पिटल (एमएच) में स्पर्म फ्रीज करवाने के लिए सेंटर बनाए गए हैं। मिलिट्री अस्पतालों में इसके लिए पैसा नहीं लिया जाता है। जिसके चलते प्राइवेट अस्पतालों में एक से दो फीसदी सेना के जवान ही स्पर्म फ्रीज करवाने के लिए आ रहे हैं।
सैनिकों में ज्यादा सैनिक ऐसे हैं जिनकी तैनाती बेहद दुर्गम इलाकों में होती है। इनमें कुछ सैनिक ऐसे भी होते हैं जिन्हें नौकरी के कारण छुट्टी कम मिलती है।
ये हैं आकड़े:-
2013 से 2018 के दौरान गुजरात में सैनिकों द्वारा स्पर्म फ्रीज कराने के मामले में तीन गुना वृद्धि हुई है। अहमदाबाद के एक स्पर्म बैंक के डॉ. हिमांशु बातीसी बताते हैं कि 2013 से 2015 की अवधि में 25-30 सैनिकों ने स्पर्म फ्रीज करवाया।
2016 से 2018 में ये आंकड़ा बढ़ कर 130 से 140 हो गया। इसी तरह अक्षर आईवीएफ, रोजमेरी हॉस्पिटल में 2013 से 2015 में दो-तीन सैनिकों ने स्पर्म फ्रीज करवाए। 2016 से 2018 में यह संख्या 25 के करीब पहुंच गई। अहमदाबाद के मनन हॉस्पिटल में भी ऐसी ही बढ़ोतरी हुई है।
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विशेषज्ञों का दावा है कि आम लोगों के मुकाबले सैनिकों में यह ट्रेंड 35-40% ज्यादा बढ़ रहा है। सामान्य लोगों में स्पर्म फ्रीजिंग को लेकर गलतफहमियां हैं। बहुत से पुरुषों को स्पर्म काउंट कम आने का डर भी रहता है। जहां पत्नी निवास करती है, उस गांव/शहर के नजदीकी अस्पताल में सैनिक फ्रीजिंग करवा रहे हैं।
क्या हैं प्रक्रिया :-
सबसे पहले व्यक्ति का ब्लड टेस्ट होता है। इसके बाद उसके स्पर्म काउंट का विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद स्पर्म और इसके द्रव्य (सॉल्यूशन) का एक साथ मिश्रण किया जाता है।
जितना स्पर्म उतना ही द्रव्य होता है। दस मिनट बाद इसके तीन हिस्से करके संरक्षित कर दिया जाता है। तीन हिस्से इसलिए ताकि एक सैंपल फेल हो तो विकल्प मौजूद रहे।
सैंपल पर डॉक्टर और स्पर्म फ्रीज करवाने वाले व्यक्ति का विवरण होता है। ये सैंपल लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज करके रखे जाते हैं। तापमान -196 डिग्री होता है। इस तरह फ्रीज किए गए स्पर्म को वर्षों तक संरक्षित रखा जा सकता है।
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