जुबिली न्यूज डेस्क
Sharm el-Sheikh Conference: मिस्र के खूबसूरत समुद्री शहर शर्म अल-शेख में 13 अक्टूबर को एक बड़ा और अहम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ है, जिसे Sharm el-Sheikh Conference कहा गया है. यह बैठक ऐसे वक्त में हुई जब गाजा में हिंसा और युद्ध अपने चरम पर है. इस कॉन्फ्रेंस का मकसद सिर्फ जंग रोकना नहीं था, बल्कि लंबे समय तक क्षेत्र में शांति कायम रखने के लिए ठोस और व्यावहारिक रास्ता निकालना भी था.
पहुंचे 20 से ज्यादा देशों के नेता
अमेरिका और मिस्र की संयुक्त पहल पर आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर से 20 से ज्यादा देशों के नेता और राजनयिक पहुंचे. इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रोन, जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय जैसी बड़ी हस्तियां शामिल हैं. इन नेताओं की मौजूदगी यह दिखाती है कि गाजा संकट अब सिर्फ एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि पूरी दुनिया की चिंता बन गया है.
क्या है शर्म अल-शेख कॉन्फ्रेंस
यह एक पीस समिट है, जिसका मकसद सिर्फ गाजा में चल रहे युद्ध को रोकना नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में स्थायी शांति की नई शुरुआत करना था. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा के लिए 20 बिंदुओं वाला एक विस्तृत शांति प्रस्ताव तैयार किया, जिसके तहत भविष्य में सुरक्षा, प्रशासन और पुनर्निर्माण की रूपरेखा तय की जाएगी. सम्मेलन में यह चर्चा भी हुई कि गाजा में युद्ध के बाद शासन व्यवस्था कैसी हो, लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और नष्ट हो चुके इलाकों का पुनर्निर्माण किन अंतरराष्ट्रीय संसाधनों से किया जा सकता है.
कौन इस सम्मेलन में हुए शामिल?
शर्म अल-शेख की इस अहम शांति बैठक में दुनिया के कई प्रभावशाली नेता और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया. इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हुए थे. उनके साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी इस शिखर बैठक में शामिल हुए. इसके अलावा कई देशों के शीर्ष नेता अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचे.
इनमें जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय, कुवैत के प्रधानमंत्री अहमद अल अब्दुल्ला अल सबाह, इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन, आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान, ग्रीस के प्रधानमंत्री कइरियाकोस मित्योताकिस, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो और बहरीन के राजा हमद बिन ईसा अल खलीफा शामिल हैं. इतने बड़े स्तर पर नेताओं की मौजूदगी इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बना दिया.