न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस का संक्रमण के आंकड़ों में तेजी का इजाफा हो रहा है। इस वायरस के संक्रमण से मरने वालों का भी आंकड़ा ढ़ाई लाख करीब पहुंचने वाला है। कोविड 19 के बारे में हर दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है, पर अब तक इसका स्थायी इलाज नहीं ढूढा जा सका है।
कोविड 19 की पहेली सुलझाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। कोविड 19 को लेकर कई देशों में शोध हो रहा है। इसी कड़ी में एक शोध में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण रक्त के थक्के जम जाते है, जिससे फेफड़ों के भीतर सूक्ष्म थक्के बन रहे हैं, जिसके वजह से मरीज की मौत हो रही है।
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अब तक यही कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस के संक्रमण से सबसे अधिक फेफड़े प्रभावित होते है जिसके कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है।
आयरलैंड के आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों में असामान्य रूप से रक्त के थक्के जमना देखा गया है, इसकी वजह से कुछ मरीजों की मृत्यु हो जाती है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि मरीजों में असामान्य कोविड-19 संक्रमण के कारण रक्त के थक्के जम जाते है, जिससे फेफड़ों के भीतर सूक्ष्म थक्के बन जाते हैं। अधिक मात्रा में रक्त के थक्के जमने से रोगियों के लिए खतरा बढ़ जाता है और उन्हें आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता अधिक होती है।
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आयरिश सेंटर फॉर वैस्कुलर बायोलॉजी, आरसीएसआई और सेंट जेम्स हॉस्पिटल, डबलिन द्वारा की गई यह स्टडी, ब्रिटिश जर्नल ऑफ हेमाटोलॉजी के वर्तमान संस्करण में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययनकर्ताओं ने इन निष्कर्षों पर आगे और शोध करने की आवश्यकता जताई है, ताकि इस वैश्विक महामारी से निपटा जा सके।
आयरलैंड के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स (आरसीएसआई) के निदेशक प्रोफेसर जेम्स ओ ने कहा हमारे नवीनतम निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड-19 एक अलग प्रकार के रक्त के थक्के जमने वाली बीमारी के रूप में उभरा है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों से जुड़ा है, जो कोविड-19 के रोगियों में देखे जा रहे मृत्यु दर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
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प्रो. ओ कहते हैं, फेफड़ों के भीतर पाई जाने वाली छोटी वायु की थैलियां, जो अक्सर निमोनिया से प्रभावित हो जाती हैं के अलावा हमें पूरे फेफड़ों में सैकड़ों छोटे रक्त के थक्के भी दिखाई दिए। इस तरह की चीजों को अन्य प्रकार के फेफड़ों के संक्रमण के साथ नहीं देखा जाता है। इसके कारण गंभीर कोविड-19 संक्रमण में रक्त में ऑक्सीजन का स्तर नाटकीय रूप से कम हो जाता है, और बीमार व्यक्ति मौत के मुंह में भी जा सकता है।
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वैज्ञानिकों ने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि फेफड़ों के भीतर इन सूक्ष्म थक्कों का निर्माण कैसे हो रहा है, ताकि हम अपने मरीजों के लिए और अधिक प्रभावी उपचार विकसित कर सकें, विशेष रूप से उन मरीजों के लिए जो बहुत अधिक खतरे में हैं।
रिसर्च टीम में शामिल प्रोफेसर ओ डोनेल ने कहा कि थक्के बनने के खतरे को कम करने के लिए अलग-अलग तरह के रक्त को पतला करके उपचार किया जाए ताकि अधिक खतरे वाले लोगों को बचाया जा सके, हालांकि इसको और अधिक जांचने की आवश्यकता है।
बहुत सारे साक्ष्यों से यह भी पता चलता है कि कोविड-19 में असामान्य रक्त के थक्के की समस्या दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाती है।
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