जुबिली स्पेशल डेस्क
कोलाकाता। कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या के विरोध में शनिवार को देशभर में चिकित्सक हड़ताल पर रहे। इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी और कारपोरेट अस्पताल और नर्सिंग होम के भी हड़ताल में शामिल में शामिल हो गया। इसका नतीजा ये हुआ कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल ठप होती हुई नजर आईं।
देश के हर राज्यों में इसका असर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही कई बड़े अस्पतालों में ऑपरेशन को टाला जा रहा है। इस वजह से मरीजों को अच्छा खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। मरीजों और उनके साथ आए तिमारदारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, मिजोरम और नगालैंड सहित विभिन्न राज्यों के डॉक्टर 24 घंटे की हड़ताल में शामिल हुए।

दूसरी तरफ दिल्ली में सर गंगा राम, फोर्टिस और अपोलो जैसे अस्पतालों ने अपनी ओपीडी, वैकल्पिक सर्जरी और आइपीडी सेवाएं को फिलहाल पूरी तरह से बंद रखीं।
बंगाल में जूनियर डॉक्टर सडक़ पर उतर आये हैं और लगातार आठ दिन से हड़ताल पर हैं। शनिवार को वरिष्ठ चिकित्सक भी शामिल हो गए। सरकारी अस्पतालों में गैर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं। निजी स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों कर तस्वीरें भी यहीं रही।

वहीं अगर बिहार की बात करें तो राजधानी पटना में हड़ताल का गहरा असर देखने को मिल रहा है। लोकल मीडिया के अनुसार पटना के प्रमुख अस्पतालों में 200 से अधिक ऑपरेशन को टाल दिया गया है। इससे मरीजों को वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा है।
मुजफ्फरपुर में निजी व सरकारी अस्पतालों में ताला लटका रहा जबकि राजकीय मेडिकल कॉलेज व अस्पताल बेतिया से 1500 मरीजों को बगैर इलाज के वापस लौटना पड़ा है।

दूसरी तरफ उत्तराखंड में स्वास्थ्यकर्मियों ने बांधी काली पट्टी कार्य किया। महिला चिकित्सक को न्याय की मांग को लेकर प्रत्येक जिले में मार्च भी निकाला गया। वहीं झारखंड में करीब 17 हजार चिकित्सक और 25 हजार स्वास्थ्यकर्मी एक साथ हड़ताल पर रहे। ओपीडी बंद रहने के कारण हजारों मरीजों को लौटना पड़ा। जांच, रूटीन सर्जरी आदि भी प्रभावित रहीं।
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