जुबिली न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। सरकार ने आज किसान संगठनों को कृषि सुधार कानूनों को एक निर्धारित समय सीमा तक स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया और इस दौरान एक समिति के माध्यम से समस्याओं के समाधान पर जोर दिया।
किसान संगठनों और सरकार के बीच कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य काे कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर हुई बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इन कानूनों को एक निश्चित समय सीमा तक स्थगित करने तथा इस दौरान एक समिति के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने का प्रस्ताव दिया। साढ़े पांच घंटे तक चली इस बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल भी उपस्थित थे।
ये भी पढ़े: सीएम योगी ने चेताया, कोविड मामलों में थोड़ी भी लापरवाही पड़ेगी भारी
ये भी पढ़े: हैवानियत और सिर्फ हैवानियत…

किसान नेताओं के अनुसार नरेन्द्र तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को निर्धारित समय सीमा तक स्थगित रखने पर दोनों पक्षों के बीच यदि सहमति बनती है तो सरकार उच्चतम न्यायालय में इस संबंध में एक हलफनामा दायर कर सकती है।
दसवें दौर की इस बैठक के किसान नेताओं ने कहा कि वे कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच अगली बैठक 22 जनवरी को होगी।
ये भी पढ़े: ‘हुनर हाट’ का लखनऊ में होगा भव्य आयोजन
ये भी पढ़े: बेपटरी हुई होटल इंडस्ट्री को भी है बजट से उम्मीदें
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए। किसान यूनियनें कानून वापसी की मांग पर थीं और सरकार खुले मन से कानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी।
कृषि कानूनों पर 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई। किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि बैठक में 3 कानूनों और MSP पर बात हुई।
सरकार ने कहा कि हम 3 कानूनों का एफिडेविट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को देंगे और हम 1- 1.2 साल के लिए रोक लगा देंगे। एक कमेटी बनेगी जो 3 कानूनों और MSP का भविष्य तय करेगी। हमने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे।
किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट में एफिडेविट देकर कानून को 1.5- 2 साल तक होल्ड पर रख सकते हैं। कमेटी बनाकर चर्चा करके, कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे। हम 500 किसान संगठन हैं, कल हम सबसे चर्चा करके 22 जनवरी को अपना जवाब देंगे।
ये भी पढ़े: कोर्ट ने क्यों ले लिया 20 दिन में ही फांसी का फैसला
ये भी पढ़े: ‘कोरोना से ज्यादा खतरनाक है जलवायु परिवर्तन’
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
