जुबिली न्यूज डेस्क
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे 16 जुलाई 2025 को अंजाम दिया जाना था। हालांकि भारत सरकार, धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील के बाद सजा को फिलहाल टाल दिया गया है। इसी बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि निमिषा की सजा रद्द कर दी गई है, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इन खबरों को भ्रामक और तथ्यहीन बताया है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि, “निमिषा प्रिया की फांसी को रद्द नहीं किया गया है। कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई जा रही है।” इससे पहले भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया था कि सना में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में निमिषा की सजा को रद्द कर दिया गया है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा केरल की निवासी हैं और एक प्रशिक्षित नर्स हैं। वह 2015 में यमन गई थीं, जहां उन्होंने एक निजी क्लिनिक खोला और यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर व्यवसाय शुरू किया। बाद में तलाल की हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया और स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।
क्यों टली फांसी?
16 जुलाई को निर्धारित फांसी की तारीख से पहले भारत सरकार, धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में यमन सरकार से अपील की थी। इसी क्रम में ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने यमन के प्रमुख सूफी विद्वान शेख उमर बिन हफीज से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। शेख उमर ने मृतक तलाल के परिवार से बातचीत की, जिसके बाद फांसी को फिलहाल स्थगित कर दिया गया।
क्या मिल सकती है राहत?
यमन में शरिया कानून लागू है, जिसके तहत हत्या के मामलों में दोषी को ‘ब्लड मनी’ (दिया) देकर माफी मिल सकती है। यानी अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर लेता है, तो सजा को माफ किया जा सकता है। इस वक्त भारत सरकार और कई सामाजिक संगठन इसी दिशा में प्रयासरत हैं।
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आगे क्या?
हालांकि फांसी की तारीख टाल दी गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि तलाल के परिवार ने माफी दी है या नहीं। ऐसे में निमिषा की जान बचाने की उम्मीदें अभी भी कायम हैं, लेकिन अंतिम फैसला यमन के न्याय तंत्र और पीड़ित परिवार की सहमति पर निर्भर करेगा।