- हाईकोर्ट ने कहा – ऑनलाइन क्लास पर रोक शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है
जुबिली न्यूज डेस्क
कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूलों को बड़ी राहत दी है। कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन क्लास पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ऑनलाइन क्लासेस पर प्रतिबंध लगाना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस नटराज रंगास्वामी की पीठ ने कहा, ‘प्रथमदृष्टया हमारा मानना है कि 15 जून और 27 जून का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 और 21 ए के तहत दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। ‘
अदालत ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत दिया गया सरकारी आदेश, अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत सुनिश्चित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
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इसलिए पीठ ने एक अंतरिम आदेश जारी कर राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत एलकेजी से लेकर 10वीं तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास पर विभिन्न चरणों में प्रतिबंध लगाया गया था।
अदालत ने ये स्पष्ट किया कि उनके आदेश का ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि स्कूल प्रशासन ऑनलाइन शिक्षा को अनिवार्य बना सकते हैं या फिर ऑनलाइन क्लासेस के लिए अतिरिक्त फीस वसूली जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘हमारे आदेश का ये मतलब न निकाला जाए कि जो बच्चे ऑनलाइन क्लासेस का विकल्प नहीं चुनते हैं तो उन्हें पढ़ाई से वंचित कर दिया जाएगा।’
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दरअसल सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गईं रिट याचिकाओं पर कोर्ट ने ये आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के लिए जारी इस आदेश का कोई तार्किक आधार नहीं है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार कुछ वर्ग के लोगों तक ऑनलाइन शिक्षा नहीं पहुंचा पा रही है तो इसका मतलब ये नहीं है तथाकथित ‘एलीट स्कूलोंÓ को ऑनलाइन क्लासेस लगाने से रोका जाए।
गौरतलब है कि पिछले महीने 15 जून को कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि कोई भी स्कूल तब तक ऑनलाइन क्लालेस शुरू नहीं कर सकते हैं, जब तक कि सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति अपने सुझाव न सौंप दे।
इसके बाद सरकार ने 27 जून को इस आदेश को संशोधित किया और कहा कि एलकेजी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को सीमित समय के लिए ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकती है।
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