Saturday - 5 July 2025 - 2:17 PM

UP की सियासत में ‘कच्चा आम’ बना गर्म मुद्दा, अखिलेश यादव के तंज पर केशव मौर्य का तीखा पलटवार

जुबिली न्यूज डेस्क 

लखनऊ — उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों ‘आम’ बेहद खास बन चुका है। जहां आमतौर पर चुनावी मुद्दों में बेरोजगारी, विकास और कानून-व्यवस्था की चर्चा होती है, वहीं अब ‘कच्चा आम’ भी नेताओं की ज़ुबानी जंग का मौजूदा हथियार बन गया है।

इस बार यह विवाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच छिड़ गया है।

अखिलेश का तंज: “कच्चे आम कह रहे पकाओ मत!”

पूरा मामला शुक्रवार को शुरू हुआ, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में तीन दिवसीय आम महोत्सव का उद्घाटन किया। इस मौके पर उनकी एक तस्वीर सामने आई जिसमें वह हरे रंग के कच्चे आम पकड़े नजर आए। इसी तस्वीर को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा:“कच्चे आम कह रहे पकाओ मत!”उनकी इस टिप्पणी को CM योगी पर निशाना माना गया, और इसे 2012 में हुई सियासी घटनाओं से जोड़कर देखा जाने लगा।

केशव मौर्य का पलटवार: “कच्चा आम समझने की भूल…”

अखिलेश यादव के तंज पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी जोरदार पलटवार किया। उन्होंने बिना नाम लिए पोस्ट किया:”नेताजी ने 2012 में एक कच्चे आम को पका हुआ आम समझने की भूल की थी. इसे लेकर वो जीवन पर्यंत पछताते रहे।”

इस बयान को सीधे तौर पर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के रिश्तों से जोड़कर देखा जा रहा है।

2012 की यादें ताजा

दरअसल, साल 2012 में समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था, और मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी अपने बेटे अखिलेश को सौंपी थी। लेकिन 2017 से पहले सपा में भारी मतभेद उभर आए और अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में लेते हुए मुलायम सिंह को पार्टी के संरक्षक की भूमिका में भेज दिया।

यह वही दौर था जब पिता-पुत्र के रिश्तों में तल्खी की चर्चाएं सार्वजनिक रूप से सामने आने लगी थीं।

‘आम’ से आमने-सामने

इस पूरे घटनाक्रम में ‘आम’ प्रतीक बन गया है —

  • अखिलेश का तंज योगी पर: “कच्चे आम”

  • केशव मौर्य का तंज अखिलेश पर: “कच्चा आम, जिसे नेताजी ने पकाया मान लिया”

इस सियासी “आम” संग्राम में दोनों पक्ष बीते राजनीतिक घटनाक्रमों को नए संदर्भ में जनता के सामने रख रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जहां एक तरफ 2027 की चुनावी तैयारियां शुरू हो रही हैं, वहीं नेताओं के बीच की बयानबाजी में ‘आम’ जैसे प्रतीकों के सहारे पुराने घावों को कुरेदने की कवायद भी तेज़ हो गई है। अब देखना होगा कि इस कच्चे आम से शुरू हुई बहस, आने वाले दिनों में कौन से चुनावी फल देती है।

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