Tuesday - 5 August 2025 - 1:10 PM

झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन, नेमरा गांव में हुआ अंतिम संस्कार

जुबिली न्यूज डेस्क 

रांची – झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत हो गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को उनके पैतृक गांव नेमरा (जिला रामगढ़) में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

81 वर्षीय ‘दिशोम गुरु’ का निधन 4 अगस्त को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ था। वे लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी और हाल में आए स्ट्रोक से जूझ रहे थे।

 अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को सोमवार देर शाम दिल्ली से रांची लाया गया, जहां राज्य विधानसभा परिसर में सुबह 9 बजे से आमजन और नेताओं के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। पूरे राज्य में शोक की लहर फैल गई।

आज दोपहर 3 बजे, उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें झारखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों के नेता और हजारों लोग शामिल हुए।

 किसने दी श्रद्धांजलि?

शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार में कई दिग्गज नेता मौजूद रहे:

  • झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

  • विधायक कल्पना सोरेन

  • पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, चंपई सोरेन और बाबूलाल मरांडी

  • कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी

  • पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

  • टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन और शताब्दी रॉय

  • पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव
    इन सभी ने दिशोम गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया।

 प्रशासन की व्यापक तैयारी

रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन ने सुरक्षा और ट्रैफिक की कड़ी व्यवस्था की थी। उपायुक्त, SP सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर तैनात किया गया था। गांव और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा बलों की मौजूदगी रही।

 तीन दिन का राजकीय शोक

राज्य सरकार ने 6 अगस्त तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। झारखंड के अधिकांश स्कूल बंद रहे और कई जगहों पर विशेष श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गईं। राज्य के राजनीतिक गलियारों और आमजन में शोक की गहरी लहर है।

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 ‘दिशोम गुरु’ की विरासत

शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय के संघर्ष को समर्पित रहा।

  • उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई

  • वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे

  • 38 वर्षों से JMM के प्रमुख रहे

  • उन्हें हमेशा गरीबों और आदिवासियों की आवाज के रूप में देखा गया

उनकी पहचान एक ऐसे नेता की रही जिसने सत्ता के बजाय संघर्ष और जमीन से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी।

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