जुबिली स्पेशल डेस्क
तेहरान/तेल अवीव। इजरायल की ओर से तेहरान, फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी और इस्फहान के सैन्य ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद अब ईरान ने बड़ा जवाबी हमला किया है। दुनियाभर की निगाहें ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी थीं, और ईरान ने इस बार कोई कसर नहीं छोड़ी।
हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कड़ा संदेश देते हुए कहा, “इजरायल को बेबस बना दिया जाएगा।” इसके कुछ ही देर बाद ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने एक साथ 200 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन इजरायल की ओर दागे। रिपोर्ट के मुताबिक, इन मिसाइलों में कई मध्यम दूरी की थीं, जिनकी रेंज 1000 से 2000 किलोमीटर तक बताई जा रही है। कुछ मीडिया स्रोतों का कहना है कि ईरान ने एक ही चरण में करीब 150 मिसाइलें छोड़ीं।
ईरान का जवाबी हमला, 200 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे
इजरायली हमले के बाद ईरान ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कड़ा संदेश देते हुए कहा, “इजरायल को बेबस बना दिया जाएगा।” इसके तुरंत बाद ईरान ने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू कर दिए।
ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने एक साथ 200 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए। इनमें से कई मिसाइलें 1000 से 2000 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली थीं, जो मध्यम दूरी की श्रेणी में आती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान एक बार में 150 से अधिक मिसाइलें दागने की क्षमता दिखा रहा है।
हालांकि इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम अधिकांश हमलों को रोकने में सफल रहा और लगभग 99% मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया गया, लेकिन कुछ मिसाइलें बच निकलीं और 5-7 मिसाइलों ने इजरायली इलाकों में नुकसान पहुंचाया। इस घटना ने एक बार फिर पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र को तनाव के नए दौर में झोंक दिया है।

विशेषज्ञों का आकलन: ईरान की बैलिस्टिक क्षमता अब भी गंभीर चुनौती
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया इजरायली हमलों में ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया गया है, लेकिन इसके बावजूद ईरान अब भी एक बार में 150 से अधिक एडवांस बैलिस्टिक मिसाइलें दागने में सक्षम है। यह दर्शाता है कि ईरान का मिसाइल कार्यक्रम अब भी बेहद मजबूत और संगठित बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, ईरान ने एक बार में 1000 बैलिस्टिक मिसाइलें छोड़ने की रणनीति भी बनाई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह योजना पूरी तरह से अमल में आ जाती, तो इजरायल को भारी तबाही का सामना करना पड़ सकता था।
क्योंकि तकनीकी रूप से, दुनिया का कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम एक साथ इतनी बड़ी संख्या में मिसाइलों को पूरी तरह से इंटरसेप्ट करने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि पश्चिम एशिया में मौजूदा हालात को लेकर वैश्विक चिंता और बढ़ गई है।