Tuesday - 16 January 2024 - 3:56 AM

‘एक था टाइगर’ से ‘टाइगर जिंदा है’ तक

न्यूज डेस्क

बाघों के गिरती हुई संख्या को रोकने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। हालांकि, मौजूदा समय में इनकी संख्या में कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार 2014 में अंतिम बार हुई गणना में भारत में 2226 बाघ है जबकि 2010 की तुलना में काफी ज्यादा है। उस समय इनकी संख्या 1706 थी।

वहीं, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दिवस पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 जारी किया। इन आकड़ो के मुताबिक अब इनकी संख्या 2967 पहुंच गई है। पीएम ने इस मौके पर कहा कि जो कहानी एक था टाइगर से शुरू होकर टाइगर जिंदा है तक पहुंची है वो यहीं तक नहीं रुकनी चाहिए।

इस मौके पर पीएम मोदी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, आज हम बाघ की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। इनकी गणना के परिणाम पर हर भारतीय खुश होगा। उन्होंने कहा की करीब नौ साल पहले सेंट पीटर्सबर्ग में बाघों की आबादी को दुगुना करने का लक्ष्य 2022 रखा गया था लेकिन हमने इसे चार साल पहले ही पूरा कर लिया है।

कबसे हुई शुरुआत

बाघों की घटती हुई संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा की गयी थी। इस सम्मेलन में आये कई देशों की सरकारों ने 2020 तक इनकी आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।

वैश्विक स्तर 95 फीसदी तक कम हुई आबादी

वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (WWLF) के अनुसार बीसवीं सदी की शुरआत के बाद बाघों की आबादी 95 फीसदी तक वैश्विक स्तर पर घटी है। दुनिया में लगभग 3,900 बाघ ही बचे हैं। जबकि 1915 में बाघों की संख्या एक लाख से ज्यादा थी।

जलवायु परिवर्तन सहित कई चुनौतियां से आई कमी

बाघों की संख्या के घटने के कई कारण है। इनमे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वन छेत्रों में कमी आना है। इसे बढ़ाना और संरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है। चमड़े, हड्डियों एवं शरीर के अन्य भागों के लिए अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन जैसी भी चुनौतियां शामिल हैं।

बची हुई प्रजातियां

बचे हुए बाघों की प्रजातियों में साइबेरियन टाइगर, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज टाइगर, मलायन टाइगर, सुमात्रन टाइगर शामिल है जबकि जो प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। उनमे बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर है। ये प्रजातियाँ पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुकी है।

सुपर मॉम ‘कॉलरवाली ने जन्मे 29 शावक

मध्य प्रदेश के पेंच नेशनल पार्क में करीब 14 बाघिन है जिनके शावकों से यहां का जंगल गुलजार बना हुआ है। इस पार्क में एक बाघिन सबसे ज्यादा बच्चों को जन्म देने वाली बाघिन बन गयी है जिसकी वजह से इस बाघिन का नाम सुपर मॉम ‘कॉलरवाली’ रखा गया है। इस बाघिन ने 11 साल में 29 बाघों को जन्म देकर एक कीर्तिमान रच दिया है। रणथंभौर की मशहूर ‘मछली’ बाघिन की 20 साल की उम्र में मौत के बाद देश और दुनिया के बाघ प्रेमियों की नजरें पेंच की ‘कॉलरवाली’ बाघिन पर टिकी हुई हैं।

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