जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और रणनीतिक मोर्चे पर सख्त रुख अपनाया है। सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ अब जल नीति के स्तर पर भी बड़ा फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 260 मेगावाट की दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना के दूसरे चरण को मंजूरी दे दी है।

यह मंजूरी ऐसे समय में दी गई है, जब भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत से पानी बहाल करने की अपील कर रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फैसला भारत की नई रणनीति को दर्शाता है, जिसमें सिंधु बेसिन के जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।
पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस महीने की शुरुआत में हुई अपनी 45वीं बैठक में करीब 3,200 करोड़ रुपये की लागत वाली इस ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजना को स्वीकृति दी। मंजूरी के साथ ही परियोजना के निर्माण के लिए निविदाएं जारी करने का रास्ता साफ हो गया है।
‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजना ऐसी जलविद्युत योजना होती है, जिसमें नदी के प्राकृतिक प्रवाह को रोके बिना बिजली उत्पादन किया जाता है और बड़े बांधों की आवश्यकता नहीं होती। इससे पर्यावरणीय प्रभाव भी तुलनात्मक रूप से कम होता है।
बैठक के विवरण में समिति ने यह भी दर्ज किया कि चिनाब बेसिन का पानी अब तक 1960 की सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच साझा किया जाता रहा है। हालांकि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल 2025 से यह संधि प्रभावी रूप से निलंबित है।
संधि के निलंबन के बाद भारत सिंधु बेसिन में कई अन्य जलविद्युत परियोजनाओं पर भी तेजी से काम आगे बढ़ा रहा है। इनमें सावलकोट, रातले, बरसर, पाकल दुल, क्वार, किरू और कीर्थई चरण-एक व चरण-दो जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
गौरतलब है कि दुलहस्ती चरण-दो परियोजना, 390 मेगावाट की मौजूदा दुलहस्ती चरण-एक परियोजना का विस्तार है। यह परियोजना वर्ष 2007 से एनएचपीसी द्वारा संचालित की जा रही है और अब इसके विस्तार से क्षेत्र में बिजली उत्पादन क्षमता के साथ-साथ रणनीतिक बढ़त भी मिलने की उम्मीद है।
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