जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: भारत ने अमेरिकी बोइंग कंपनी से इंडियन नेवी के लिए 6 अतिरिक्त P-8i पोसीडॉन समुद्री गश्ती विमान खरीद की योजना को अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 7 अगस्त से भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, बढ़ती लागत और व्यापारिक तनाव के चलते इस सौदे पर पुनर्विचार शुरू हो गया है। हालांकि, इसे पूरी तरह रद्द नहीं किया गया है।
पहले मंजूरी, फिर बढ़ी कीमत
भारत ने 2009 में 2.2 अरब डॉलर की डील में 8 P-8i विमान खरीदे थे और 2016 में 4 और विमान 1 अरब डॉलर से अधिक की लागत पर लिए। मई 2021 में अमेरिका ने 6 और विमानों की बिक्री को 2.42 अरब डॉलर में मंजूरी दी थी, लेकिन सप्लाई चेन में रुकावट और महंगाई के कारण जुलाई 2025 तक लागत बढ़कर लगभग 3.6 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) हो गई—यह 2021 की कीमत से लगभग 50% अधिक है।
ऑपरेशनल महत्व और विवाद
भारतीय नौसेना वर्तमान में 12 P-8i विमान संचालित करती है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और चीन की समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनका इस्तेमाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों में भी हुआ है। नौसेना कुल 18 विमान चाहती थी ताकि चीनी जहाजों और पनडुब्बियों की निगरानी क्षमता और मजबूत हो।
अमेरिकी दबाव और भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत पर F-35 और P-8i जैसे हथियार ऊंची कीमत पर खरीदने का दबाव बताया जा रहा है। भारत ने इस पर असहमति जताई है और स्पष्ट किया है कि रक्षा खरीद रणनीतिक जरूरतों के आधार पर होगी, न कि व्यापारिक दबाव में।
स्वदेशी विकल्पों की ओर रुख
सूत्रों का कहना है कि भारत इस मौके का इस्तेमाल ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। DRDO के मानव रहित समुद्री निगरानी प्लेटफॉर्म और HAL के प्रस्तावित समुद्री गश्ती विमान विकल्पों पर काम जारी है।
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भविष्य की संभावना
हालांकि डील फिलहाल स्थगित है, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच उचित कीमत पर बातचीत जारी है। हालात सुधरने पर सौदा दोबारा सामने आ सकता है।