Wednesday - 19 November 2025 - 10:47 AM

भारत में एंटीबायोटिक का बढ़ता उपयोग बना खतरा,  ग्लोबल स्टडी में बड़ा खुलासा

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली। भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ता इस्तेमाल अब गंभीर स्वास्थ्य संकट में बदलता जा रहा है। रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (Antimicrobial Awareness Week) के दौरान द लैंसेट में प्रकाशित AIG हॉस्पिटल्स, हैदराबाद की एक ग्लोबल स्टडी में चौंकाने वाली बात सामने आई है। स्टडी के अनुसार, भारत एक संभावित “सुपरबग विस्फोट” की स्थिति झेल रहा है और देश के अस्पतालों में भर्ती होने वाले 83% मरीज पहले से ही एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया लेकर आते हैं।

भारत में AMR संकट चिंताजनक स्तर पर

एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस (AMR) वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी उन दवाओं से बचने के लिए विकसित हो जाते हैं जिनका उद्देश्य उन्हें खत्म करना होता है। इससे संक्रमण का इलाज कठिन और कई बार असंभव हो जाता है।

ग्लोबल स्टडी में भारत, इटली, अमेरिका और नीदरलैंड के 1,200 मरीजों का विश्लेषण किया गया। इनमें पाया गया कि:

  • भारत: 83% मरीजों में दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया

  • इटली: 31.5%

  • अमेरिका: 20%

  • नीदरलैंड: केवल 10.8%

डॉक्टरों के अनुसार भारत में पहचाने गए अधिकतर बैक्टीरिया ऐसे हैं जिन पर “अंतिम उपाय” (last resort) तक की एंटीबायोटिक भी प्रभाव नहीं दिखातीं। यह स्थिति स्वास्थ्य सिस्टम के लिए गंभीर चेतावनी है।

उच्च जोखिम वाले मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

स्टडी में पाया गया कि भारत में कुछ मरीज समूह विशेष रूप से अधिक असुरक्षित हैं, जैसे—

  • क्रॉनिक लंग डिज़ीज़ (Chronic Lung Disease) वाले मरीज

  • दिल का दौरा झेल चुके मरीज

  • बार-बार एंटीबायोटिक लेने वाले लोग

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में एंटीबायोटिक की आसान उपलब्धता, मेडिकल स्टोर्स पर बिना पर्चे के बिक्री, और डेयरी, पोल्ट्री व खेती में इनके अत्यधिक उपयोग ने AMR संकट को और गहरा किया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जताई चिंता

देश में एंटीबायोटिक के बढ़ते दुरुपयोग पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan—NAP-AMR 2025–29) के दूसरे संस्करण की शुरुआत करते हुए कहा—“भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग दुर्भाग्य से आम हो गया है। AMR एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है और इससे निपटने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।”

नड्डा ने बताया कि AMR से ऑपरेशन, कैंसर उपचार और अन्य गंभीर स्वास्थ्य प्रक्रियाएँ भी प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि कई मंत्रालय मिलकर इस खतरे को कम करने के लिए काम कर रहे हैं।

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क्यों बढ़ रहा है भारत में AMR का खतरा? — प्रमुख कारण

  1. बिना प्रिस्क्रिप्शन के एंटीबायोटिक की बिक्री

  2. कृषि, पशुपालन और पोल्ट्री में अनियंत्रित उपयोग

  3. बार-बार अनावश्यक एंटीबायोटिक लेना

  4. संक्रमण रोकथाम एवं स्वच्छता उपायों की कमी

  5. अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण की चुनौतियाँ

विशेषज्ञों की सलाह

  • डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक न लें

  • एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स पूरा करें

  • खाद्य व कृषि क्षेत्र में सख्त निगरानी लागू हो

  • अस्पतालों में इंफेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल को मजबूत किया जाए

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