जुबिली न्यूज डेस्क
भारत को दुनिया का सबसे युवा देश माना जाता है। यहां 18 से 29 साल के करीब 26 करोड़ युवा हैं। लेकिन एक हालिया स्टडी ने चौंका देने वाला खुलासा किया है। इस स्टडी के मुताबिक 53% भारतीय युवा Personality Malnourished यानी ‘व्यक्तित्व कुपोषित’ हैं। इसका मतलब है कि उनका मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पूरी तरह नहीं हो पाया है।
कौन-सी संस्था ने की ये स्टडी?
यह स्टडी SEARCH (Society for Education, Action and Research in Community Health) संस्था की पहल ‘निर्माण’ (NIRMAN) के तहत डॉ. अमृत बंग द्वारा की गई है। इस रिसर्च में 2021 से 2024 के बीच देशभर के 4,283 युवाओं को शामिल किया गया।
इस स्टडी का फोकस 18 से 29 वर्ष की उम्र के युवाओं पर था, जिसे Emerging Adulthood Phase कहा जाता है। यही वो उम्र होती है जब युवा अपनी पहचान बनाते हैं, करियर चुनते हैं और सामाजिक तौर पर खुद को ढालते हैं।
पर्सनालिटी कुपोषण का क्या मतलब है?
Personality Malnourishment का मतलब है कि एक युवा मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से पूरी तरह विकसित नहीं है। उसके भीतर जरूरी लाइफ स्किल्स, आत्मविश्वास, सामाजिक मूल्य और रिश्तों को निभाने की समझ की कमी है।
डॉ. अमृत बंग के मुताबिक, “जैसे हम बच्चों की शारीरिक वृद्धि की निगरानी करते हैं, वैसे ही युवाओं की व्यक्तित्व वृद्धि पर भी नजर रखने की जरूरत है।”
स्टडी के प्रमुख आंकड़े:
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53% युवा कम से कम 4 या उससे ज्यादा क्षेत्रों में Personality Malnourished पाए गए।
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सिर्फ 9% युवा ऐसे थे जिनमें सभी 7 जरूरी क्षेत्रों में संतुलित विकास देखा गया।
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तुलना में, 35% भारतीय शारीरिक रूप से कुपोषित हैं, लेकिन उससे कहीं अधिक 53% युवा व्यक्तित्व स्तर पर पिछड़े हुए हैं।
किन 7 क्षेत्रों में की गई जांच?
निर्माण संस्था ने युवाओं के विकास को समझने के लिए उनके जीवन के 7 प्रमुख क्षेत्रों में जांच की:
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शारीरिक स्वास्थ्य
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मानसिक स्वास्थ्य
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चरित्र और जीवन मूल्य (Character & Values)
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रिश्तों की समझ और गुणवत्ता
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पेशेवर विकास (Professional Growth)
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लाइफ स्किल्स (निर्णय लेने की क्षमता, समस्या सुलझाना)
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सामाजिक योगदान (Community Engagement)
कैसे की गई जांच?
युवाओं से इन सातों क्षेत्रों पर आधारित 50 सवाल पूछे गए। यदि किसी युवा ने किसी क्षेत्र में दो-तिहाई (2/3) सवालों में कम अंक पाए, तो उसे उस क्षेत्र में Personality Malnourished माना गया।
युवा पूछ रहे हैं – “मैं कौन हूं?”
अमृत बंग द्वारा की गई एक और स्टडी के अनुसार, आज के युवा सबसे ज्यादा जिस सवाल से जूझ रहे हैं वो है – “मैं कौन हूं, और मेरे जीवन का मकसद क्या है?”इससे साफ है कि भारत का युवा आत्म-चिंतन की अवस्था में है और उसे मार्गदर्शन की सख्त जरूरत है।
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अगर भारत के युवा मानसिक और भावनात्मक रूप से मज़बूत नहीं होंगे, तो सिर्फ डिग्री या स्किल से वे सफल नहीं हो सकते। देश की असली ताकत तभी बनेगी जब युवा हर स्तर पर विकसित होंगे – मन, शरीर और आत्मा से।