न्यूज डेस्क
कहा जाता है खुश रहना सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है। लेकिन आज कल बहुत से लोग तनाव भरे में माहौल में रह रहे हैं, जोकि उनकी सेहत पर बुरा असर दाल रहा है। जी हां देश की कुल आबादी की 14.3 फीसदी लोग (19.73 करोड़) लोग किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित है।
एक स्टडी में इस बात का खुलाशा हुआ है कि इन मानसिक विकारों में डिप्रेशन, एंग्जाइटी डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, कंडक्ट डिसऑर्डर और ऑटिज्म जैसे विकार शामिल हैं।
इनमें से 4.57 करोड़ लोग डिप्रेशन के और करीब 4.49 करोड़ लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर से ग्रसित है। इन दोनों का असर भारत में बढ़ता दिख रहा है। साथ ही महिलाओं और दक्षिण भारतीय राज्यों में इनका असर सबसे ज्यादा दिखाई दिया।
किये गये अध्ययन के अनुसार, डिप्रेशन पीड़ितों में उम्रदराज लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इसकी वजह से होने वाली आत्महत्याओं में भी बढ़ोत्तरी हुई है। बचपन में होने वाले मानसिक विकार के मामले उत्तर भारतीय राज्यों में ज्यादा देखे गए। हालांकि, देशभर में बच्चों के इस तरह के मामले पहले की तुलना में कम हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गयी 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, देश की जनसंख्या का 7.5% हिस्सा मानसिक विकारों से पीड़ित था। 2005 से 2015 के बीच दुनिया में डिप्रेशन के मामले 18% बढ़े थे। तब दुनियाभर में डिप्रेशन के करीब सवा तीन करोड़ पीड़ित थे। इनमें लगभग आधे दक्षिण-पूर्वी एशिया में थे।
इस अध्ययन में कुछ मुख्य बातें सामने आई हैं जो कि हैं-
दक्षिणी राज्यों और महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जाइटी डिसऑर्डर ज्यादा पाया गया। बुजुर्ग आबादी में डिप्रेशन ज्यादा रहा। वहीं बच्चों में मानसिक विकार उत्तरी राज्यों में ज्यादा देखा गया, लेकिन ये भारत भर में कम हो रहा है। इसके अलावा डिप्रेशन और आत्महत्या के बीच में भी अहम संबंध पाया गया, जो कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा है।
वहीं, डिप्रेशन, एंग्जाइटी डिसऑर्डर और ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या महिलाओं में ज्यादा पाई गई। जबकि कंडक्ट डिसऑर्डर, ऑटिज्म और हाइपरएक्टिविटी की समस्या लड़कों में ज्यादा थी।
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