हेमेंद्र त्रिपाठी
जब से मार्च 2019 में आम चुनावों के कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। तब से लंबे और उबाऊ चुनावों का मसला लगातार उठाया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी चुनाव कार्यक्रमो को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं।
लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के स्वतंत्र, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित कराते हुए आयोग को जो तमाम बाधाओं का सामना करना पड़ता है उसको भी हमे ध्यान रखना होगा।
विश्व इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा चुनाव
यह चुनाव विश्व इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा चुनाव है, जिसमे करीब 90 करोड़ पंजीकृत मतदाता है जिसमे से 1.5 करोड़ मतदाता 18 से 19 साल के है। यहां के कुल मतदाताओं की संख्या एशिया के अलावा किसी भी महाद्वीप की कुल आबादी से कई अधिक है।
बनाए गए दस लाख मतदान केंद्र
इस लोकसभा चुनाव में करीब दस लाख मतदान केंद्र बनाए गए है जो कि 2014 के चुनावों की तुलना में करीब दस फीसदी से अधिक है। वहीं, 23 लाख से ज्यादा बैलट यूनिट, 16 करोड़ से ज्यादा कंट्रोल यूनिट और 17 लाख से अधिक वीवीपैट शामिल है।
1.1 करोड़ मतदान कर्मचारियों सहित बुक थी दो लाख बसें और कारों
इसके अलावा लगभग 1.1 करोड़ मतदान कर्मचारियों सुरक्षाकर्मी सहित इस चुनाव में तैनात किये गये। वहीं, आवागमन के लिए विमान और हेलीकाप्टर जैसी परिवहन की एक बड़ी विविधता के अलावा तीन हज़ार कोचों के साथ 120 ट्रेने, दो लाख बसें और कारों से कर्मचारियों और सामग्रियों को समय से पहले मतदान केंद्र पहुंचाया गया है।
सात चरणों में आयोजित किया गया
यह चुनाव 543 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करते हुए 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में आयोजित किया गया। हालांकि, इससे पहले पिछले तीन चुनाव क्रमश 20 से 10 मई चार चरणों में, 16 अप्रैल से 13 मई पांच चरणों में और सात अप्रैल से 12 मई में नौ चरणों में संपन्न हुए थे।
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