Tuesday - 16 January 2024 - 2:28 AM

भाई के चलते चर्चा में प्रमुख सचिव …

राजेन्द्र कुमार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि सरकार का कोई मंत्री, राज्यपाल, सांसद, विधायक और आईएएस तथा पीसीएस के परिवारीजन कोई ऐसा कार्य न करें जिससे सरकार की छवि बिगड़े। प्रधानमंत्री की इस मंशा को पूरी करने के लिए तमाम राज्यपाल अपने बेटों को राजभवन में लंबे समय तक रहने नहीं देते।

तो मंत्री और नौकरशाह अपने परिवारीजनों का काम कराने की पैरवी खुलेआम नहीं करते। लेकिन यूपी के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ऐसे बंधनों की अनदेखी करते हैं।

वर्ष 1990 बैच के आईएएस जितेंद्र कुमार वर्तमान में पर्यटन, संस्कृति, भाषा, राष्ट्रीय एकीकरण, प्रशासनिक सुधार सहित सात विभागों का दायित्व संभाल रहें हैं। जाहिर है कि वह सरकार के चहेते अफसर हैं, तभी तो पर्यटन सहित सात महकमों के प्रमुख सचिव हैं। फिलहाल जितेंद्र कुमार नौकरशाहों के बीच चर्चा में हैं तो इसकी वजह है उनके भाई अशोक कुमार।

लखनऊ में गोमतीनगर के सबसे पॉश इलाके में अशोक कुमार बीते दो वर्षों से एक आवासीय जमीन पर कमर्शियल भवन बनवा रहें हैं। गोमतीनगर के विपुल खंड में भूखंड संख्या 3/66 पर कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण नक्शे के विपरीत हो रहा है। जिसकी शिकायत एक महिला आईएएस सहित आसपास के लोगों ने एलडीए के अफसरों से थी।

इस पर विहित अधिकारी संजय पांडेय ने 23 अक्टूबर 2018 को इसे गिराने का आदेश दिया था। अशोक कुमार ने इस पर आपत्ति दाखिल की। आपत्ति पर सुनवाई करते हुए पूर्व में मंडलायुक्त अनिल गर्ग ने 20 मई 2019 को एलडीए के निर्णय को सही बताया था, जिसके बाद भी बिल्डिंग ध्वस्त नहीं गई।

प्रमुख सचिव के भाई का मामला जानने के बाद एलडीए के अधिकारियों के भी इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लेकिन बीते दिनों मुख्तार अंसारी के बेटों की इमारते गिराए जाने की कार्रवाई एलडीए ने की तो कई लोगों ने एलडीए के अफसरों को फोन किया।

इन लोगों ने एलडीए के अफसरों को याद दिलाया कि उन्हें प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार के भाई अशोक कुमार ने नियमों के विपरीत जो निर्माण कार्य कराया हैं, उस मामले में भी एक्शन लेना। ऐसी तमाम फोनकाल आने पर एलडीए अफसरों की एक टीम 31 अगस्त को अशोक कुमार के कॉम्प्लेक्स पर पहुंची गई। और कॉम्प्लेक्स का थोड़ा सा हिस्सा तोडक़र अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

दिलचस्प यह है कि कार्रवाई के नाम पर केवल गेट और शटर हटाया गया जबकि चार मंजिल तक अवैध निर्माण कराया गया है। एलडीए अफसरों की इस खानापूर्ति वाली कार्रवाई को देख आसपास के लोगों ने एलडीए के अफसरों से पूछताछ की। तो एलडीए के विहित प्राधिकारी पंकज कुमार ने कहा आवासीय भूखंड पर निर्माण अशोक कुमार ने किया है।

इस पर कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं शुरू की गई है। इसलिए जो अभी जो एक्शन लिया गया है, वह ठीक है। बाकी बाद में देखा जाएगा। इस जवाब से असंतुष्ट लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रमुख सचिव के भाई के अवैध निर्माण को बचाने में लगे एडीए अफसर सरीखा अभियान चला दिया। जिसकी जानकारी जितेंद्र कुमार को हुई तो वह खुद मामले को सुलटाने के लिए एलडीए दफ्तर पहुंचे गए।

उन्होंने एलडीए के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इसके बाद मकान के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई स्थगित कर दी गई और एलडीए ने बिल्डिंग के अवैध निर्माण के शमन का मौका दे दिया है। इसी के बाद से अब लोकभवन, सचिवालय के मुख्य भवन, बापू भवन और एनेक्सी भवन में बैठने वाले नौकरशाहों की बीच जितेंद्र कुमार की संपत्तियों चर्चा हो रही है।

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इन सरकारी भवनों में बैठने वाले आईएएस जितेंद्र कुमार को कारोबारी आईएएस मानते हैं। अपने तमाम रिश्तेदारों के ज्वैलरी के शोरूम, बुटीक जैसे कई बड़े व्यापार उन्होंने (जितेंद्र) ने देखते ही देखते खड़े कर दिये हैं। फिलहाल अब जितेन्द्र कुमार इस बार अपने भाई के कारनामों से सुर्खियों में हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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