
मैं कभी कभी भगवान होना चाहता हूं,
और सृजन कर देना चाहता हूं
नई दुनिया का।
हां, नई सृष्टि जिसमें सिर्फ अंधेरा हो
क्योकि अंधेरा सुकून भरा होता है
और उजाला हमें थका देता है।
अंधेरे के सुकून में
मां की छांव होती है और
बीड़ी के धुंए के छल्ले की तरह, शांत होता है अंधेरा।
नशें जब शिथिल होती हैं,
रीढ़ जब सीधी होती है।
तब समय रुक जाता है।
और अंधेरा आलिंगन कर लेना चाहता है,
अपने भगवान से।
समय का रुकना ही तो अंधेरे का सूचक है।
और अंधेरा ही तो पैदा कर देता है सुकून को
फिर मैं बन बैठता हूँ इसी अंधेरे का भगवान।
और रचता जाता हूँ एक के बाद एक,
अलग अलग सृष्टि।

Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
