प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आपदा काल में देश को दिए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज के खर्च का हिसाब की तीसरी कड़ी पेश करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना काल में पिछले दो महीनों में सरकार ने किसानों और गरीबों के हित में कई काम किये.
उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सरकार ने दूध उत्पादकों से दो लाख लीटर अतिरिक्त दूध की खरीद की ताकि उनके सामने दिक्कत न आये. पिछले दो महीनों में किसानों को सरकार ने 18 हज़ार 700 करोड़ रुपये दिए. पिछले दो महीनों में सरकार ने फसल बीमा भुगतान के रूप में 6400 करोड़ रुपये भी दिये.

उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान भी सरकार ने किसानों को लगातार काम करने का मौका दिया. सरकार यह बात जानती है कि किसानों को अनाज भंडारण में दिक्कत आती है. सरकार ने तय किया है कि इस दिशा में एक लाख करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे ताकि अनाज भंडारण की दिक्कत न आने पाए. यह एक लाख करोड़ कृषि क्षेत्र को मजबूती देगा. किसानों की आय बढ़ने में भी इससे मदद मिलेगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमन्त्री लोकल से ग्लोबल वाली नीति से चलना चाहते हैं. सरकार ने इसके लिए लोकल उत्पादों की ब्रांडिंग का फैसला किया है. इसके लिए सरकार 10 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करेगी. उत्तर प्रदेश का आम, बिहार का मखाना, आंध्र प्रदेश की मिर्च, जम्मू-कश्मीर का केसर उद्योग ब्रांडिग के ज़रिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच जाएगा. इससे देश की दो लाख फ़ूड इकाइयां लाभ में पहुँच जाएंगी.
प्रधानमन्त्री मत्स्य संपदा योजना के लिए सरकार ने 20 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है. इससे मछली उत्पादन भी बढ़ेगा और 55 लाख लोगों को फायदा मिलेगा. पांच साल में मत्स्य व्यापार एक लाख करोड़ का हो जाएगा.
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वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार सभी पशुओं का टीकाकरण करायेगी ताकि उन्हें मुंहपका और खुरपका जैसी बीमारियाँ खत्म हो सकें. सरकार ने 53 करोड़ पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है. इससे भारत सबसे ज्यादा पशुधन वाला देश बन जाएगा. सरकार टीकाकरण पर 13 हज़ार 343 करोड़ रूपये खर्च करेगी. गाय, भैंस और बकरी का 100 फीसदी टीकाकरण किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि पशुधन योजना पर सरकार 15 हज़ार करोड़ रूपये खर्च करेगी ताकि दूध उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी की जा सके.
मेडिकल प्लांट को विकसित करने के लिए भी सरकार चार हज़ार करोड़ रुपये खर्च करेगी. इससे देश में हर्बल खेती को बढ़ावा मिलेगा. कोरोना संकट के समय में हर्बल खेती की अहमियत भी पता चल गई है. इसी तरह मधुमक्खी पालन योजना के लिए भी सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. किसानों के लिए शहद को निर्यात करने का यह एक अवसर होगा.
सरकार कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा और निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार क़ानून में बदलाव करेगी. यह क़ानून 1955 में बनाया गया था. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि निर्यात करने वाले किसानों को दिक्कत न आये.
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