Saturday - 6 January 2024 - 1:21 PM

दुनिया के सबसे अनोखे बॉर्डर के बारे में कितना जानते हैं आप?

जुबिली न्यूज डेस्क

यूं  तो दुनिया में दो सौ से अधिक देश है लेकिन हम कुछ ही देशों के बारे में जानते हैं। दुनिया का हर देश अपने साथ एक संस्कृति, सभ्यता समेटे हुए है। कोई अपनी संस्कृति और सभ्यता की वजह से जाना जाता है तो कोई अपनी प्रगतिशील सोच और आधुनिकता की वजह से।

लेकिन दुनिया कई ऐेसे भी देश है जो किसी और वजह से भी जाने जाते हैं। जी हां, आज हम ऐसे देश की बात करने जा रहे हैं जो अपने अनोखे बॉर्डर की वजह से जाना जाता है।

Photo : DW

अक्सर जब हम दो देशों के बीच की सीमा के बारे में सोचते है तो अक्सर हमारे जेहन में तार या बैरीकेट लगा बॉर्डर आता है। आज हम जिस देश की बात करने जा रहे हैं वह है यूरोपीय शहर बार्ले, यह नीदरलैंड और बेल्जियम की सीमा पर स्थित है। यहां दोनों देशों के बीच की राष्ट्रीय सीमा घरों, रेस्तरां, टी हाउस और संग्रहालयों से होकर गुजरती है।

सुनकर आपको कुछ अजीब सा लगा होगा, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। यह अपने आपमें अनोखा है। इसके जहां कुछ फायदे हैं तो वहीं कुछ नुकसान भी हैं। तो चलिए जानते हैं बार्ले के बारे में।

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अनोखा शहर है बार्ले

लाल ईंट के घर, बड़े दरवाजे वाले गोदाम, साफ-सुथरी सड़कें, बार्ले का यह सब देखकर पहली नजर में यह शहर यूरोपीय देशों बेल्जियम और नीदरलैंड्स के आम सीमावर्ती शहरों जैसा दिखता है, लेकिन हकीकत में बार्ले की हैसियत बेहद अनोखी है। यहां आप एक देश में नाश्ता बना सकते हैं और दूसरे देश में खा सकते हैं।

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यह है बॉर्डर की पहचान

डीडब्ल्यू के मुताबिक अगर आप बार्ले में हैं तो आप एक देश में कुर्सी पर बैठकर दूसरे देश की सीमा के भीतर टीवी देख सकते हैं। बार्ले में एक जोड़े के लिए एक ही बिस्तर पर सोना संभव है लेकिन एक ही समय में दो अलग-अलग देशों में। दो देशों को अलग करने के लिए बनी सीमा कई बार घर, सामुदायिक भवन और कैफे हाउस को पार करती हुई जाती है।

कभी नीदरलैंड्स तो कभी बेल्जियम

बेल्जियम के शहर को बार्ले हेरटोग के नाम से जाना जाता है और जो इलाका नीदरलैंड्स में उसे बार्ले नासायु के नाम से जाना जाता है।

इस शहर का कुछ हिस्सा बेल्जियम और कुछ नीदरलैंड्स में आता है। दोनों देशों के बीच की सीमा लोगों के घरों से होकर गुजरती है। सीमा को सफेद क्रॉस से चिह्नित किया गया है।

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स्थानीय पर्यटन कार्यालय के प्रमुख विलियम वैन गूल के मुताबिक, 20वीं सदी में यह इलाका दलदली था। 1198 में ब्राबांट के ड्यूक हेनरी प्रथम ने इस क्षेत्र को ब्रेडा के शासक को जमीन पट्टे पर दी, लेकिन उन्हें वही जमीन दी गई जो उपजाऊ नहीं थी। हेनरी ने उपजाऊ भूमि को अपने लिए रखा।

साल 1830 में जब बेल्जियम नीदरलैंड्स से अलग होकर स्वतंत्रत राष्ट्र बना तो बेल्जियम को अपनी सीमाओं को निर्धारित करने की आवश्यकता थी। सर्वेक्षकों ने उत्तरी सागर के तट से जर्मन राज्यों की सीमा को निर्धारित किया, लेकिन जब वे इस क्षेत्र में पहुंचे, तो सीमा के मुद्दों को बाद में निपटाने के लिए छोड़ दिया गया।

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दरवाजे के हिसाब से नागरिकता

दोनों देशों में कई घर, बाग, गलियां, दुकानें आदि बंटे हुए थे। स्थायी संघर्ष से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया कि जिस घर का प्रवेश द्वार जिस देश की सीमा में खुलेगा, उसमें रहने वालों को उस देश की नागरिकता दी जाएगी।

बार्ले में हर चीज दो हैं-शहर के दो नाम, दो महापौर, दो नगरपालिका प्रशासन, दो डाकघर – लेकिन उन सभी को चलाने वाली समिति एक ही है ताकि स्थानीय मुद्दों को जल्दी से हल किया जा सके और सहयोग को और बढ़ाया जा सके।

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पर्यटकों के बीच लोकप्रिय

बार्ले दुनिया के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यहां पर्यटक आते हैं तो एक दरवाजे पर दो झंडे के साथ तस्वीर निकलवाते हैं तो सड़क पर बनी सीमा पर बैठकर एक ही समय में दो देशों में होने का अनुभव करते हैं।

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