न्यूज डेस्क
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन हुआ था जो इस बार 21अप्रैल को है। इसीलिए हर साल इसी दिन महावीर जयंती मनाई जाती है। महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे प्रमुख त्योहार है।
महावीर जयंती के दिन महावीर की मूर्ती को स्नान करवाया जाता है और विशेष रुप से मंदिरों को सजाया जाता है। बिहार, गुजरात, राजस्थान और कोलकत्ता स्थित मंदिरों में शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है।
कौन थे महावीर
बता दें कि भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 600 वर्ष पूर्व कुंडग्राम (बिहार) मे हुआ था। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। वे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। महावीर ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया। एक राज परिवार में जन्म लेने वाले वर्धमान ने राज-पाठ, परिवार, धन-संपदा छोड़कर युवावस्था में ही लोगों को सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाया।
30 वर्ष की अवस्था में घर छोड़ा
महावीर ने 30 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त के लिए घर-परिवार छोड़ दिया और सत्य, अहिंसा और प्रेम की शक्ति को महसूस किया। उनमे क्षमा करने का एक अद्भुत गुण था इसके बाद उन्हें महावीर कहा जाने लगा।
तीर्थंकर महावीर ने अपने सिद्धांतों को जनमानस के बीच रखा। उन्होंने ढोंग, पाखंड, अत्याचार, अनाचारत व हिंसा को नकारते हुए दृढ़तापूर्वक अहिंसक धर्म का प्रचार किया।
उन्होंने बताया कि आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत। आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
महावीर के पांच अनमोल विचार
महावीर के पांच अनमोल विचार जो इस प्रकार हैं
- मनुष्य खुद की गलतियां से ही दुखी होता हैं, जो मनुष्य अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है वहीं, मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है।
- आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिए।
- आत्मा अकेले आती है, अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
- खुद जीतना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
- अगर आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ और किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भी भूल जाओ।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal

