मयंक सिंह
BJP महानगरों की निगमों के महापौर की सीटों को तो जीत ले गई है किंतु मतदान का प्रतिशत बेहद कम था. मजे की बात ये है कि पार्षदों की जीत में BJP लाभ में नहीं है.
तो इसका मतलब ये है कि BJP का पुराना मूल वोटर जुड़ा तो है किंतु उसके भरोसे में कमी आ रही है. और जो नया वोट पिछले कुछ सालों में जुड़ा था, वो टूट रहा है.B श्रेणी के जनपद जहां नगर पालिका के अध्यक्ष व पार्षदों का चुनाव था, उसमें परिणाम दिखा रहे हैं कि BJP को कड़ी टक्कर मिली है. यह दिखाता है कि विपक्ष अभी भी मजबूत है तथा BJP की चमक फीकी पड़ रही है.

यहाँ भी मतदान का प्रतिशत काफी कम था. विपक्ष के नेताओं ने उस स्तर पर जिस पर मुख्यमंत्री ने किया था. नगर पालिका अध्यक्ष में BJP की जीत की दर 50 प्रतिशत से कम रहा.
यहाँ भी BJP का आकर्षण कम हो रहा है. चूंकि नगर पालिका पार्षदों का विवरण अभी उपलब्ध नहीं है, तो कुछ कहना सही नहीं होगा.
नगर पंचायत के परिणाम बता रहे हैं कि BJP अर्द्धनगरीय या ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर हो रही है क्योंकि वहाँ की अर्थव्यवस्था खत्म हो चुकी है, जिसका श्रेय लोग BJP को देने लगे हैं और आने वाले समय में राशन भी काम नहीं करेगा.
जैसे मोदी ने कर्नाटक में धुआंधार प्रचार किया था वैसे ही योगी ने उत्तर प्रदेश में किया था. पर दोनो परिणाम दिखा रहे हैं कि BJP कमजोर हो रही है और उनके दोनो बड़े नाम भी जीत की गारंटी नहीं रह पा रहे हैं.
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