जुबिली न्यूज डेस्क
सामाजिक आंदोलनों और जनसरोकारों के पुरोधा रहे स्वर्गीय अनिल चौधरी की स्मृति में पराड़कर भवन में एक विशेष सभा का आयोजन हुआ। इस मौके पर देशभर से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके विचारों और योगदान को याद करते हुए पीड़ितों के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता दोहराई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गांधीवादी इतिहासकार डॉ. मोहम्मद आरिफ ने अनिल चौधरी को याद करते हुए कहा, “वे अपने अंतिम दिनों तक भी लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाते रहे। सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ना, लोकतंत्र की रक्षा और भूमंडलीकरण के खिलाफ आवाज़ उठाना उनकी विचारधारा के तीन मूल स्तंभ थे।” उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों पर काम करने वाले उनके शिष्य आज पूरे देश में सक्रिय हैं।
सम्मेलन में हुआ यातना पीड़ितों का सम्मान
यह स्मृति सभा जनमित्र न्यास, PVCHR, IRCT, GHPF, JUSTER और संयुक्त राष्ट्र के यातना पीड़ितों के लिए स्वैच्छिक कोष (UNVFVT) के सहयोग से आयोजित की गई थी। इसमें PVCHR का वार्षिक सम्मेलन भी सम्मिलित था, जिसमें यातना पीड़ितों को मंच से सम्मानित किया गया।
सोनभद्र से आए पीड़ितों — जटई, सोनू, नंदलाल, दिनेश और शिवशंकर — ने अपनी व्यथाएं साझा कीं। उनकी गवाहियों ने उपस्थित जनसमूह को झकझोर दिया। इन्हें मंच पर शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
अनिल चौधरी की विरासत और नई पीढ़ी की प्रेरणा
कार्यक्रम की शुरुआत अनिल चौधरी की तस्वीर पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि अर्पण से हुई। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. लेनिन रघुवंशी ने चौधरी जी के जीवन दर्शन और उनके समाज निर्माण में योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि PEACE संस्था द्वारा अनिल चौधरी की स्मृति में द्विवार्षिक वजीफा और नवदलित सम्मान की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा, “वे पहचान की राजनीति और पैसे की दौड़ के आलोचक थे। उनका मानना था कि जो केवल धन के पीछे भागता है, वह ‘उल्लू’ है — और उन्होंने समाज को बताया कि ऐसे उल्लूपन से कैसे बचा जाए।”
दिल्ली से आए PEACE के निदेशक जितेंद्र चाहर ने चौधरी जी के विचारों पर एक गहन प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि चौधरी जी के लिए सामाजिक परिवर्तन कोई परियोजना नहीं, बल्कि निरंतर चलने वाली प्रक्रिया थी।
वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने चौधरी जी से मिले सबकों को साझा किया, वहीं बनारस के पत्रकार विजय विनीत और लंदन से आए अभिजीत मजूमदार ने भी अपनी बातें रखीं।
सम्मान और सराहना
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत को ‘नवदलित सम्मान’ से नवाजा गया, जबकि व्योमेश शुक्ल (कवि), कमलेंद्र कुमार सिंह, अधिवक्ता चे ग्वारा रघुवंशी और सामाजिक कार्यकर्ता पिंटू गुप्ता को ‘जनमित्र सम्मान’ प्रदान किया गया।
इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ संपादक ए.के. लारी, अरविंद मूर्ति, आशीष अवस्थी और ज्ञान जी को गमछा पहनाकर विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इन सभी ने किसी न किसी रूप में अनिल चौधरी के कार्यों से जुड़कर सामाजिक बदलाव में अपना योगदान दिया है।
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कार्यक्रम का समापन
सभा के अंत में PVCHR की प्रमुख श्रुति नागवंशी ने सभी अतिथियों और सहभागी संगठनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “अनिल चौधरी सिर्फ एक नाम नहीं, एक विचारधारा हैं, जो आज भी जनआंदोलनों की आत्मा में जीवित है।”