पॉलिटिकल डेस्क
देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाला फूलपुर लोकसभा क्षेत्र 1952 में हुए पहले ही आम लोकसभा चुनाव में दो सांसद देने वाला क्षेत्र भी बना था। उस चुनाव में फूलपुर का नाम इलाहाबाद ईस्ट कम जौनपुर वेस्ट था।

यहां से पंडित जवाहरलाल नेहरु सांसद चुने गए तो उनके साथ ही कांग्रेस के मसुरियादीन भी सांसद बन गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस चुनाव में 1 सीट से 2 प्रत्याशियों को विजयी घोषित करने का नियम बनाया गया था और यह नियम इस सीट पर भी था।
आबादी/ शिक्षा
फूलपुर में लोकसभा में पांच विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें फूलपुर, सोरांव, फाफामऊ, इलाहाबाद उत्तरी और इलाहाबाद पश्चिमी सीट शामिल हैं। फूलपुर सीट पर इस बार 19 लाख 75 हजार मतदाता हैं। इनमें 10 लाख 83 हजार पुरुष वोटर तो 08 लाख 91 हजार महिला वोटर हैं। इसके अलावा 184 वोटर थर्ड जेंडर के हैं। साल 2014 के मुकाबले इस बार यहां तकरीबन बासठ हजार वोटर बढ़े हैं।
राजनीतिक घटनाक्रम
एक दौर में फूलपुर कांग्रेस की पारंपरिक सीट हुआ करती थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय सीट को अपनी कर्मभूमि के लिए चुना और वह लगातार 1952, 1957 और 1962 में यहां से सांसद निर्वाचित हुए।
नेहरू के धुर-विरोधी रहे समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट से उनके सामने चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन वो जीत नहीं सके। अब तक सिर्फ दो ही ऐसे नेता हैं जो इस सीट से हैट-ट्रिक बना पाए हैं। पहले जवाहरलाल नेहरू और दूसरे हैं रामपूजन पटेल जो 1984, 1989 और 1991 में इस सीट से सांसद रहे।

1964 में नेहरू के निधन के बाद उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित फूलपुर से उतरीं और जीत दर्ज कर सांसद बनी।. विजय लक्ष्मी ने 1967 में जनेश्वर मिश्र को भी हराया। 1969 में विजय लक्ष्मी के इस्तीफे के बाद उपचुनाव में कांग्रेस ने केशवदेव मालवीय उतरे, जिन्हें सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र मात देकर सांसद बने।
कांग्रेस ने इस सीट को दोबारा पाने के लिए 1971 में वीपी सिंह को मैदान में उतारा और वो जीत दर्ज करके सांसद बने। इसके बाद 1977 में आपातकाल के दौर में एक बार कांग्रेस के हाथों से ये सीट खिसक गई।
1980 में हुए चुनाव में फूलपुर से लोकदल के प्रत्याशी बीडी सिंह जीतकर सांसद बने। 1984 में कांग्रेस ने दोबारा से रामपूजन पटेल को मैदान में उतारा। इस बार कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए उन्होंने जीत दर्ज की, लेकिन इसके बाद वो जनता दल में शामिल हो गए और लगातार तीन बार चुने गए।
फूलपुर सीट पर एसपी का भी मजबूत जनाधार है। यही वजह है कि 1996 से लेकर 2004 और 2018 के उपुचनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने यहां से जीत दर्ज की। 1996 और जंग बहादुर पटेल (दो बार) एसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। उन्होंने फूलपुर से 1996 और 1998 में समाजवादी पार्टी से जीत दर्ज की।
1999 में सपा ने धर्मराज पटेल को टिकट दिया तो उन्होंने भी जीत हासिल की। इसके बाद एसपी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद को फूलपुर से प्रत्याशी बनाया जो विजयी रहे, लेकिन इसके बाद 2009 के चुनाव में बीएसपी के टिकट पर पंडित कपिल मुनि करवरिया चुने गए और 2014 में बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य सांसद बने, लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में सपा ने एक बार कब्जा जमाया।
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