न्यूज डेस्क
एक मई को दुनिया के कई देशों में लेबर डे मनाया जाता है और इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है। भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी होती है।
कैसे पड़ी नींव
अमेरिका में एक मई 1886 को मज़दूर यूनियनों नें काम का समय आठ घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था। इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी और सात मज़दूर मार दिए।
ये भी पढ़ें-राहुल का जाति जनगणना पर सरकार को समर्थन पर राखी ये बड़ी 4 मांगें
इस घटना के कुछ दिन बाद ही अमेरिका में आठ घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के आठ घंटे काम करने से संबंधित क़ानून लागू है।
भारत में कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी शुरुआत
भारत में 1 मई को मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 से हुई। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। उनका कहना था कि दुनियाभर के मजदूर इस दिन को मजदूर दिवस के तौर पर मनाते हैं, तो भारत में भी इसको मान्यता दी जानी चाहिए।
इस पर वहां कई जनसभाएं व जुलूस आयोजित किए गए और मजदूरों के हितों के प्रति ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। इसके बाद उसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता मिल गई।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal

