
पॉलिटिकल डेस्क।
बिजनौर, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। ऐतिहासिक दृष्टिï से भी बिजनौर का बहुत महत्व शहर है। नूर बिजनौरी जैसे विश्व प्रसिद्ध शायर इसी मिट्टी से पैदा हुए। महारनी विक्टोरिया के उस्ताद नवाब शाहमत अली भी मंडावर बिजनौर के निवासी थे, जिन्होंने महारानी को फारसी की पढ़ाया। यहां तमाम शिक्षण संस्थान हैं। कण्व आश्रम, पारसनाथ का किला, मयूर ध्वज दुर्ग, हनुमान धाम यहां के प्रमुख दार्शनिक स्थल हैं। लखनऊ से बिजनौर की दूरी 441.8 किलोमीटर और दिल्ली से इसकी दूरी 189.5 किलोमीटर है।
आबादी/ शिक्षा
2011 की जनगणना के अनुसार, बिजनौर में कुल 55.18 फीसदी हिंदू और 44.04 फीसदी मुस्लिम आबादी है। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें दो बिजनौर जिले, दो मुजफ्फरनगर जिले और एक मेरठ जिले से आती हैं। ये सीटें पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर है। वर्तमान में यहां के कुल मतदाताओं की संख्या 1,562,081 जिनमें महिला मतदाता 713,587 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 848,418 है।
राजनीतिक घटनाक्रम

देश में हुए पहले चुनाव यानी 1952 से लेकर 1971 तक ये सीट कांग्रेस के खाते में ही रही। फिर इमरजेंसी के दौर के बाद कांग्रेस का मोहभंग हुआ तो 1977 और 1980 में इस सीट पर जनता दल ने जीत हासिल की। हालांकि, एक बार फिर ये सीट कांग्रेस के पास गई। 1984 में गिरधारी लाल, 1985 उपचुनाव में पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार यहां से चुनाव जीती थीं। इस चुनाव में उनके खिलाफ रामविलास पासवान और मायावती मैदान में थे।
साल 1989 में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद हुए इस सीट पर कुल 7 चुनाव में चार बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार राष्टï्रीय लोकदल और एक बार समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है।
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