स्पेशल डेस्क
लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। इतना ही नहीं इसको लेकर देश की राजधानी से लेकर लखनऊ तक विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस दौरान यूपी के कई 22 जिलों नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा हुई थी। उसके बाद योगी सरकार इस मामले में सख्त हो गई थी और कहा था कि जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उन्हीं से इसकी भरपाई होगी।
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इसके बाद पुलिस व जिला प्रशासन ने रिकवरी के लिए नोटिस जारी करना शुरू कर दिया था लेकिन कानपुर के एक व्यक्ति ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने जारी वसूली नोटिस पर रोक लगा दी है। साथ ही एक माह के भीतर राज्य सरकार को काउंटर ऐफिडेविट फाइल करने का समय दिया है।]
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दूसरी ओर 22 जिलों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। साथ ही इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट योगी सरकार के हलफनामे पर संतुष्ट नजर नहीं आ रही है। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि सभी याचिकाओं पर राज्य सरकार से अलग-अलग विस्तृत हलफनामा कोर्ट में पेश करे।

अलीगढ़ में हुई हिंसा को लेकर दाखिल मोहम्मद अमन खान की याचिका पर हाईकोर्ट 26 फरवरी को सुनवाई करेगी, जबकि मुंबई के वकील अजय कुमार, स्वामी अग्निवेश, वजाहत हबीबुल्ला, पीएफआई समेत 14 याचिकाओं पर 18 मार्च को सुनवाई होगी।
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एक अन्य मामले में कानपुर में बीते 19 व 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में बवाल हुआ था। इतना ही प्रदर्शन हिंसा का रूप में बदल गया था। इस प्रदर्शन में दो पुलिस चौकियों में आग लगा दी गई थी। सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाने को लेकर यूपी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेजा। यह नोटिस कानपुर के रहने वाले मोहम्मद फैजान को भी मिली। फैजान ने नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका दायर की।
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