- अमेरिका की ओर मुड़ता पाकिस्तान?
- आर्मी चीफ आसिम मुनीर दो महीने में दूसरी बार वॉशिंगटन दौरे पर
जुबिली स्पेशल डेस्क
एक ओर अमेरिका भारत पर टैरिफ का शिकंजा कस रहा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में गर्माहट दिखाई दे रही है।
इसी कड़ी में पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अगस्त महीने में दोबारा अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। यह दौरा खासतौर पर अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल कुरिला के विदाई समारोह में भागीदारी के लिए होगा।
बताया जा रहा है कि माइकल कुरिला के कार्यकाल में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम सहयोगी के रूप में देखा गया था।
कुरिला पहले भी सार्वजनिक मंचों पर पाकिस्तान की आईएसआई और आतंकवाद रोधी अभियानों में उसकी भूमिका की तारीफ कर चुके हैं। उनके अनुसार, आतंकवाद से निपटने के वैश्विक प्रयासों में पाकिस्तान एक ‘महत्वपूर्ण साझेदार’ रहा है।
पाक-अमेरिका के बीच बढ़ती साझेदारी
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हाल ही में एक नया तेल सहयोग समझौता भी हुआ है, जिसमें अमेरिका पाकिस्तान में ऊर्जा भंडारण और तेल विकास परियोजनाओं में निवेश करेगा। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को भी नया आयाम मिलने की संभावना है।
भारत को लेकर ट्रंप का सख्त रुख
दूसरी तरफ, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदने के कारण लगाया गया बताया जा रहा है।
इस तरह अब कुल मिलाकर भारत पर अमेरिका का टैरिफ 50 फीसदी हो चुका है, जो दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में तनाव को दर्शाता है।
जून में हुई थी ट्रंप-मुनीर की चर्चित मुलाकात
जनरल मुनीर इससे पहले जून में भी अमेरिका के दौरे पर गए थे, जहां उनकी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से एक विशेष लंच मीटिंग भी हुई थी।
इस मुलाकात की खास बात यह रही कि मुनीर ने ट्रंप को भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध की आशंका को टालने के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की थी। इस पर व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने पुष्टि की थी कि ट्रंप ने इसी सिफारिश के चलते उन्हें आमंत्रित किया था।
एक ओर अमेरिका भारत पर आर्थिक दबाव बना रहा है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में तेजी से निकटता देखी जा रही है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख के बार-बार हो रहे अमेरिकी दौरे यह संकेत दे रहे हैं कि दक्षिण एशिया की कूटनीतिक तस्वीर तेजी से बदल रही है।