जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को धर्मांतरण विरोधी कानूनों (Anti Conversion Laws) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई की। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि इन कानूनों पर रोक लगाई जाए, क्योंकि इनका इस्तेमाल अक्सर अंतर-धार्मिक जोड़ों को परेशान करने, धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में बाधा डालने के लिए किया जा रहा है।
-
सीनियर एडवोकेट चंदर उदय सिंह ने कहा कि ये कानून धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता पर हमला करते हैं।
-
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 2024 में संशोधन कर शादी के जरिए धर्म परिवर्तन पर न्यूनतम सजा 20 साल से आजीवन कारावास तक कर दी गई है।
-
साथ ही जमानत की शर्तें भी PMLA जैसी सख्त ट्विन कंडीशंस के साथ और कठोर बना दी गई हैं।
-
कानून में यह भी प्रावधान है कि तीसरा पक्ष भी शिकायत दर्ज कर सकता है।
अदालत का रुख
-
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की।
-
कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन राज्यों से विस्तृत जवाब मांगा।
-
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज को स्टे आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया।
हाई कोर्ट का हस्तक्षेप
-
गुजरात हाई कोर्ट ने 2021 में गुजरात धर्म परिवर्तन कानून की कुछ धाराओं पर स्टे लगाया था।
-
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट, 2021 की कुछ धाराओं पर रोक लगाई थी।
-
अब ये राज्य सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं ताकि हाई कोर्ट के आदेशों को चुनौती दी जा सके।
ये भी पढ़ें-ED ने युवराज और उथप्पा को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए क्यों तलब किया?
संवैधानिक चुनौती
ये मामला 6 हाई कोर्ट – गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश – में लंबित 21 याचिकाओं से जुड़ा है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से इन मामलों को एक जगह सुनने की अपील की थी।मामले की अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।