Tuesday - 16 January 2024 - 6:32 PM

कोरोना संकट में स्वास्थ्य महकमा बदहाल, सरकार मौन

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले का स्वास्थ्य विभाग लापरवाही, कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।लेकिन जिले के सीएमओ डा. यशपाल सिंह के ऊपर सरकार मेहरबान है।

सीएमओ के ऊपर कोरोना काल में भी पैसे लेकर डाक्टरों को प्रदेश से बाहर पीजी करने के लिये रिलीव करने, जिला अस्पताल में नियम न होने पर भी आउट सोर्सिंग के मनचाहे कर्मचारियों को रख कर शेष की सेवा समाप्त करने के आरोप लगे।

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पीएचसी इस्लामपुर में डाक्टर न होने से एक दिन में एक साथ चार नवजात बच्चों की मौत हो गयी। अभी पीएचसी पर इलाज न मिलने के कारण एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे की मौत हो गयी। फिर भी सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बने हैं। जबकि एक महिला मरीज की मौत के मामले में गोण्डा के सीएमओ एस.के. रावत को हटाया जा चुका है।

क्या है पूरा मामला

सीएमओ डा. यशपाल सिंह के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवा कितनी बदहाल है और भ्र्ष्टाचार कैसे चल रहा है। इसके बारे में सिलसिलेवार जानिये-

आदेश के एक दिन पहले बैक डेट में किया रिलीव

महानिदेशक ने आदेश किया था कि कोरोना संकट समाप्त होने के बाद ही डाक्टरों को रिलीव किया जाय लेकिन महानिदेशक के आदेश के बावजूद बदायूं के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दातागंज के तीन चिकित्सक एक साथ रिलीव हो गये।

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दातागंज सीएचसी के अधीक्षक के अनुसार, डा. अमित, डा. सिनोद मिश्रा और डा. नेहा गुप्ता को महानिदेशक के आदेश की तिथि 15.04.2020 से एक दिन पहले ही सीएमओ ने अधीक्षक को दबाव में लेकर बैक डेट में एक साथ रिलीव कर दिया।

बदायूं में दातागंज के विधायक राजीव कुमार सिंह ‘बब्बू भइया’ ने जुबली पोस्ट को बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से की थी। लेकिन फिर सीएमओ के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की गई।

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एक दिन में एक साथ चार बच्चों की मौत

बदायूं जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इस्लामनगर में प्रसव के बाद एक ही रात में चार नवजात शिशुओं ने दम तोड़ दिया था। एक रिटायर्ड एएनएम (अप्रैल माह में रिटायर) एवं उसकी बहू जो संविदा पर कार्यरत है ने प्रसव कराये और उन्होंने प्रसव के नाम पर पैसे भी वसूले लेकिन डाक्टरों के न होने की वजह से चारों बच्चों मौत की नींद सो गए।

इस मामले को इस्लामनगर के ही आरएसएस संगठन के प्रादेशिक नेता हेमन्त गुप्ता ने गंभीरता से लिया। हेमन्त गुप्ता ने जुबली पोस्ट से बातचीत में बताया कि एक बच्चे के पिता ने लिखित रूप से नुजत परवीन और गुलजान का नाम लिया जिसने प्रसव कराया और एवज में पैसे भी झटके। राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के लिये स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा।

लेकिन कारवाई के नाम पर जांच का दिखावा किया गया और एमओआइसी डॉ. अमन सिद्दिकी को निलम्बित कर दिया गया, लेकिन सीएमओ बेदाग रहे।

कोरोना काल मे़ं इस खबर के आने के बाद से ही सीएमओ डा.यशपाल सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे थे। बड़ी कारवाई किये जाने की उम्मीद थी, लेकिन जांच का दिखावा हुआ और एमओआइसी डॉ.अमन सिद्दीकी को मुख्य आरोपी मानकर निलम्बित करके मामले को खत्म कर दिया गया।

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सीएचसी पर नहीं थे डाक्टर, हुई मौत

हजतरतपुर थाना इलाके के हैदरपुर की रहने वाली गीता को उसके परिजन और आशा कार्यकत्री डिलीवरी के लिए हजरतपुर पीएचसी लेकर गये जहां डाक्टर गायब थे। फिर उसे जिला महिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल में तैनात स्टाफ ने उसको देखना मुनासिब नही समझा और महिला की अस्पताल से महज 20 कदम की दूरी पर अम्बेडकर पार्क के पास सड़क पर मौत हो गई।

डाक्टर अस्पताल न आने का देते हैं हफ्ता

सूत्रों के अनुसार सीएमओ पर आरोप है कि सीएचसी और पीएचसी के डाक्टरों से उनका हफ्ता बंधा है, जिसके कारण अक्सर डाक्टर कार्य स्थल से नदारद ही रहेते हैं। इसके प्रमाणन के लिये सीएचसी और पीएचसी के डाक्टरों की डेली ओपीडी पंजी, मेडिसिन का डेली कन्जम्पशन रजिस्टर और मरीजों का पंजीकरण से मिलान करके जाना जा सकता है। इसलिये इस बिन्दु पर भी जांच जरूरी है।

राजकीय कार्यों के प्रति अवज्ञा, महानिदेशक ने सीएमओ से मांगा स्पष्टीकरण

महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें उत्तर प्रदेश ने 23 जून को मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र जिले मे सीएचसी पर एक भी सर्जरी न करने के कारण गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे यह राजकीय कार्यों और उच्चादेशों के प्रति उदासीनता/अवज्ञा माना है। इसके लिए सीएमओ को स्पष्टीकरण देने के लिये कहा गया है।

नियमानुसार सीएचसी पर सर्जन रखे जाते हैं और सर्जरी करने के एक मानक बनाया गया है जिसमें निर्धारित संख्या मे़ सर्जरी करने पर ही वेतन आहरण होता है।

लेकिन सीएमओ की शह पर डॉक्टर गायब रहते हैं और उनका वेतन आहरण भी हो जाता है। इन सर्जन की व्यक्तिगत ओपीडी भी खाली रहने की सूचना है। लापरवाही से मृत्यु इसीलिये होती है, लेकिन उच्च अधिकारी को कौन बचा रहा है, जांच का विषय है।

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झोलाछाप का सज गया है बाजार, हो रही है लंबी वसूली

सूत्रों के अनुसार एक साल पहले तत्कालीन एसएसपी ने झोलाछाप की सूची तैयार कराई थी और डीएम के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को भेजा भी था। बताया जाता है कि लगभग 250 झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई की गई।

रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 725 से अधिक झोलाछाप हैं। बताया जा रहा है कि सीएमओ कार्यालय द्वारा झोलाछाप से लम्बी वसूली हो रही है। इसीलिये पीएसी- सीएससी के एमओआईसी और अधीक्षक भी कार्रवाई करने से बच रहे हैं।

सैंपल लेने में नहीं हो रहा है शासनादेश का पालन

लगभग 2 माह पूर्व एमएमयू द्वारा जिले भर के कोरोना सैंपल कराए जाने के संबंध में शासनादेश हुआ था। परंतु शासनादेश की अवहेलना करते हुए चार दिवस पूर्व एमएमयू से सैम्पल कराए जाने के आदेश सीएमओ बदायूं द्वारा दिए गए हैं। इसके लिये तमाम स्टाफ एवं सरकारी गाड़ियां सैंपल के लिए लगाई गई, जिसकी जिनके वेतन की एवं तेल का अनावश्यक खर्च हो रहा है। यह बड़ा सवाल है कि योगी सरकार में स्वास्थ्य विभाग की बदहाली कब तक चलती रहेगी?

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