जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, भारतीय रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में 7 पैसे टूटकर 88.80 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और एच1बी वीजा फीस में वृद्धि ने रुपये पर दबाव और गहरा कर दिया है।
क्यों टूट रहा रुपया?
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी व्यापार नीतियों में सख्ती और वीजा फीस बढ़ोतरी से भारतीय निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है।
-
निवेशकों का रिस्क कम लेने का रुझान बढ़ा है।
-
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार (Forex Market) में रुपया 88.80 पर खुला और शुरुआती कारोबार में 88.71 तक गया।
-
मंगलवार को रुपया 45 पैसे गिरकर 88.73 पर बंद हुआ था और दिन में यह 88.82 तक पहुंच गया था।
निवेशकों का कमजोर सेंटिमेंट
-
डॉलर इंडेक्स (छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति) 0.09% बढ़कर 97.35 पर पहुंच गया।
-
शेयर बाजार में भी दबाव दिखा:
-
सेंसेक्स 380.48 अंक गिरकर 81,721.62 पर
-
निफ्टी 106.45 अंक टूटकर 25,063.05 पर
-
-
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.24% चढ़कर $67.79 प्रति बैरल पर रहा।
-
एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने मंगलवार को 3,551.19 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए।
रुपये की गिरावट का असर
रुपये की वैल्यू में गिरावट से देश की इकोनॉमी पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं:
-
आयात महंगा हो जाता है, खासकर कच्चा तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान।
-
विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की फीस और खर्चे बढ़ जाते हैं।
-
आम लोगों के लिए विदेश यात्रा और पढ़ाई पर खर्च ज्यादा हो जाता है।
-
महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है।