
जुबली न्यूज़ डेस्क
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को थाम दिया है। इस संकट काल में एक ओर जहां सबकुछ थम सा गया है वहीं हमारे देश में प्रवासी मजदूरों के पलायन ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा रखी है।
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शहरों से गांव लौटे मजदूरों से हमने बात करके उनके मन की व्यथा जाननी चाही तो देखा की वो अपने नेताओं से कितने मायूस हैं। इंदौर से लौटे एक परिवार से बातचीत को आप भी पढ़िए।
- सवाल- घर आकर कैसा लग रहा है ?
- जवाब- बहुत खुश हैं, अब कोरोना भी हो जाए तो कोई गम नहीं, परदेश में मरने से अच्छा है कि अपनों के बीच मरें।
- सवाल- आप लोग पैदल ही यहां तक आये हैं, रास्ते में किसी ने कोई मदद की ?
- जवाब- कुछ जगह लोगों ने खाने के पैकेट दिए बाकि कहीं कोई मदद नहीं मिली।
- सवाल- वापस कब तक जाएंगे ?
- जवाब- अब यहीं रहकर काम करेंगे। वापस नहीं जाएंगे कभी। यही मजदूरी कर लेंगे।
- सवाल- तो सरकार ने जो मदद का ऐलान किया है, उसका लाभ लेंगे ?
- जवाब- अरे भइआ मोदी जी को हम लोग अब समझ गए हैं, वो भाषण तो अच्छा देते हैं लेकिन काम के मामले में जीरो हैं।
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