जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ, नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से नहीं कराने को अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने आदिवासी समुदाय का अपमान बताया है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस मनुवादी विचारधारा का संगठन है जिसकी नज़र में राष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति की भी पद से ज़्यादा जाति महत्व रखती है। मौजूदा राष्ट्रपति आदिवासी महिला हैं जिसके लिए मनुवादी पदानुक्रम में कोई स्थान ही नहीं है इसलिए उनसे उद्घाटन नहीं कराया जा रहा है। यह भाजपा द्वारा संपूर्ण आदिवासी समाज का अपमान है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संघ की यह सवर्णवादी मानसिकता कोई पहली बार उजागर नहीं हुई है। 15 मार्च 2002 को अयोध्या में हुए शिलादान कार्यक्रम में संघ के दिवंगत नेता रामचंद्र दास परमहंस ने फ़ैज़ाबाद के तत्कालीन कमिश्नर अनिल कुमार गुप्ता को यह कह कर शिला देने से इनकार कर दिया था कि गुप्ता द्विज जाति से नहीं थे और वो किसी पिछड़े को शिला नहीं दे सकते। उनकी ज़िद थी कि शिला वो किसी ब्राह्मण या क्षत्रिय जाति के व्यक्ति को ही देंगे। तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने दिल्ली से आईएएस अधिकारी शत्रुघन सिंह को हवाई जहाज़ से अयोध्या भेजा था। जिन्हें परमहंस जी ने शिला दान किया था।
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शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 21वीं सदी में एक आदिवासी महिला राष्ट्रपति से नये संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराना बाबा साहब अंबेडकर के साथ जनसंघ और हिंदू महासभा के लोगों की उस जातिवादी रवैय्ये की याद दिलाता है जब इन संगठनों ने संविधान को मानने से इनकार करते हुए मनुस्मृति को लागू करने की मांग की थी।