जुबिली स्पेशल डेस्क
जयपुर। राजस्थान का सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की सरकार अब राजस्थान में अब मुश्किलों में नजर आ रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार सचिन पायलट की उड़ान को रोकने का काम कर रहे हैं।
इसका नतीजा ये हुआ कि राजस्थान में कांग्रेस एक बार फिर दो फाड़ में नजर आ रही है।अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे से ठीक पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुट ने कल रात भर बवाल काटा है।
इतना ही नहीं 80 से अधिक विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया है। इन विधायकों की एक राय है कि नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला गहलोत की मर्जी के मुताबिक होना चाहिए।
इन लोगों को लग रहा है कि हाईकमान सचिन पायलट को सीएम बनाने का मन बना लिया है जिसकी वजह से गहलोत के गुट बगावत करने पर उतारू हो गए है। हालांकि अब नई जानकारी सामने आ रही है कि गहलोत गुट ने पायलट को सत्ता से दूर रखने समेत 3 शर्तें पार्टी नेतृत्व के सामने रखी हैं।

क्या हैं तीन शर्तें
- गहलोत कैंप ने आलाकमान के सामने तीन शर्तें रखी हैं। उनमें पहली शर्त यह है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बनाया जाए। उन्होंने 2020 में सरकार से बगावत की थी। मुख्यमंत्री उन 102 विधायकों में से किसी को बनाया जाए जो संकट के समय सरकार के साथ थे।
- दूसरी शर्त यह है कि नए मुख्यमंत्री का फैसला गहलोत के अध्यक्ष बन जाने के बाद यानी 19 अक्टूबर के बाद ही हो। इसके बाद ही वह इस्तीफा देंगे।
- तीसरी शर्त है कि अशोक गहलोत को भी मुख्यमंत्री बने रहने का विकल्प दिया जाए।
हालांकि, हाईकमान भी झुकने को तैयार नहीं है। राज्य विधानसभा में मुख्?य स?चेतक महेश जोशी ने रविवार देर रात कहा, ”हमने इस्तीफा दे दिया हैं और आगे क्या करना है इसका फैसला अब विधानसभा अध्यक्ष करेंगे।
इससे पहले राज्य के आपदा प्रबंधन और राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने मीडियाकर्मियों से कहा, ”हम अभी अपना इस्तीफा देकर आए हैं।” यह पूछे जाने पर कि कितने विधायकों ने इस्?तीफा दिया, उन्?होंने कहा, ”लगभग 100 विधायकों ने इस्तीफा दिया है।”
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