स्पेशल डेस्क
दक्षिण मुंबई के करीब 80 साल के हो चुके बुजुर्ग समाजसेवी और राधा कलिनदास दरयानिनी ट्रस्ट के प्रमुख प्रेम दरयानानी ने एक बार फिर से सेना के लिए अपनी मालिकाना जमीन देने की पहल की है। इस जमीन पर महाराष्ट्र में पहले और देश के दूसरे सेना ला कॉलेज का विस्तार होगा।
सेना की सेवा का जूनून रखने वाले प्रेम दरयानानी ने ट्रस्ट के जरिये ये दूसरी बार दान दिया है। प्रेम दरयानिनी देश में सेना को व्यक्तिगत स्तर पर सबसे बड़ा दान देने वाले व्यक्ति के तौर पर जाने जाते है। उन्होने मार्च 2018 में करीब चालीस करोड़ रुपये कीमत का दान दिया था जिसमें छह तैयार बिल्डिंग और छह एकड जमीन शामिल थी।

अब प्रेम फिर से छह बिल्डिंग और दो एकड़ जमीन दे रहे हैं। जिसकी कीमत करीब 25 करोड़ रुपये मानी जा रही है। इस जमीन और बिल्डिंग से सेना ला कॉलेज का विस्तार होगा और दूसरे तथा तीसरे वर्ष के छात्रों को पढ़ाई का मौका मिलेगा।
देश में सेना के लोगों के लिए दो ही ला कालेज है। पहला मोहाली चंडीगढ में कई साल पहले बना था जबकि दरयानानी ट्रस्ट के सहयोग से दूसरा कालेज पूना के पास कान्हे गांव में बनाया गया। इसके संचालन का पहला सफल वर्ष हो चुका है।
ला कॉलेज के दूसरे चरण के भूमिपूजन का कार्यक्रम दक्षिणी कमान के कमांडर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी के हाथों संपन्र हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल को अब तक अतिविशिष्ट सेवा मेडल। युदध सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है। इस मौके पर दक्षिणी कमान के कई अफसर मौजूद थे।
लेफ्टिनेंट जनरल सैनी ने इस मौके पर कहा कि सेना देश के लिए हमेशा तैयार रहती है और इस तरह आम लोगों के सेना के साथ जुडने से सेना का मनोबल कई गुना बढ जाता है। उन्होने सेना की मदद करने के लिए प्रेम दरयानानी और ट्रस्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि और भी लोगो को इस तरह आगे आना चाहिये।
राधा कलिनदास दरयानानी ट्रस्ट के प्रमुख प्रेम दरयानानी ने कहा कि इस दान का मुख्य मकसद देश के बाहरी और आंतरिक दुशमनों से निपटने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाली भारतीय सेना के प्रति कृतज्ञता दिखाना है।
भारतीय सेना के जवान हर खतरे का सामना करते हुए हमेशा सीमा पर चौकस रहते है। वो अपने जान की बाजी लगा देते हैं ताकि हम सुरक्षित रह सकें। यहां तक जब भी देश पर किसी प्राकृतिक या मानवीय आपदा का संकट आता है तो वो हमेशा मदद के लिए तैयार रहते है।
प्रेम दरयानानी मानते है कि देश के लिए बलिदान देने वाली भारतीय सेना का साहस अदम्य और अतुलनीय है। हम नागरिको की भी जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए योगदान करे। इसी भावना के तहत ही अब समय है कि हम आम जनमानस को इस बारे में जागरुक करें।
ये हमारा कर्तव्य है कि हम सैनिकों और उनके परिवारों के साथ खडे रह। हर भारतीय चाहे वो व्यकितगत हो या कारपोरेट या फिर सामाजिक संगठन सबका ये दायित्व है कि वो भारतीय सेना के साथ जुड़े रहने की भावना को आत्मसात करें ताकि सेना को भरोसा हो कि पूरा देश उनके साथ एकजुट है।
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