
न्यूज़ डेस्क।
राष्ट्रपिता माहत्मा गांधी को ट्रेन से उतारे जाने का किस्सा आज भी सुनाकर अंग्रेजों के भेदभाव वाली मानसिकता की निंदा की जाती है। लेकिन सोचिए कि हमारे देश में हमारे समाज के लोग ही किसी व्यक्ति को उसके पहनावे के कारण ट्रेन में यात्रा न करने दें तो आप इसे क्या कहेंगे।
दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन का है, कंफर्म आरक्षित सीट होने के बावजूद गुरुवार को एक बुजुर्ग यात्री को टीटीई ने उनकी वेशभूषा की वजह से शताब्दी में चढ़ने नहीं दिया।
मिली जानकारी के अनसार गुरुवार को धोती और गमछे में यात्री रामअवध दास (82 वर्ष) गाजियाबाद के लिए शताब्दी एक्सप्रेस पकड़ने इटावा स्टेशन पहुंचे। उनके पास इटावा से गाजियाबाद तक कोच सी-टू में बर्थ नंबर 71 का कंफर्म टिकट था। जब वह कोच में चढ़ने लगे तो टीटीई ने उन्हें चढ़ने नहीं दिया। उन्होंने टीटीई को टिकट भी दिखाना चाहा, लेकिन उसने एक न सुनी।
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रामअवध के मुताबिक टीटीई ने उनकी वेशभूषा को लेकर आपत्ति जताते हुए उन्हें कोच से उतार दिया। नाराज यात्री ने इटावा स्टेशन मास्टर से शिकायत की है।
हालांकि उन्होंने वेशभूषा को लेकर आपत्ति जताने की बात शिकायत में दर्ज नहीं की है। बता दें कि रामअवध बाराबंकी के रहने वाले हैं और वह हर साल इटावा अपने एक शिष्य से मिलने आते हैं।
रेलवे ने वृद्ध की शिकायत को बताया गलत
डीआरएम के पीआरओ ने वृद्ध की शिकायत को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि, वृद्ध की शिकायत गलत है। वृद्ध इंजन की ओर लगे जनरेटर यान के पास पहुंच गए थे। वे जनरेटर यान में चढ़ना चाहते थे।
टीटीई और जीआरपी के सिपाही ने उन्हें रोका था। उनसे कहा गया था कि आपका कोच पीछे की ओर है, वहां जाएं। वृद्ध होने के कारण वह अपने कोच तक नहीं पहुंच पाए, इसलिए उनकी ट्रेन छूट गई।
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